पीएम के कार्यक्रम के लिए मिली थी राशि
केएमपी भारत। सीवान
प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए चर्चा है कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा ज़िला स्तर पर कार्यकर्ताओं के लिए विशेष राशि जारी की गई थी। उद्देश्य था कि पार्टी कार्यकर्ताओं को यात्रा, भोजन और अन्य सुविधाओं के लिए सहयोग मिले ताकि वे बड़ी संख्या में कार्यक्रम में शामिल हो सकें। लेकिन अब इसी राशि को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है।
कार्यकर्ताओं को नहीं मिला पूरा पैसा, कार्यकर्ताओं में उबाल

नाम न बताने की शर्त पर सीवान के कई बीजेपी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि उन्हें संपूर्ण राशि नहीं दी गई। बताया जा रहा है कि मोतिहारी का एक जिला स्तरीय नेता कार्यकर्ताओं के हिस्से का पैसा लेकर फरार हो गया है। चर्चा है कि प्रदेश कार्य समिति सदस्य प्रदीप कुमार रोज भी इससे प्रभावित हैं।
भीड़ जुटाने के नाम पर पैसे का बंटवारा
बताया जा रहा है कि हर मंडल को बसों, बैनरों और समर्थकों की व्यवस्था के लिए यूनिट के हिसाब से राशि दी गई थी। ये राशि कुछ पार्टी पदाधिकारियों के माध्यम से नीचे तक पहुंचाई जानी थी। लेकिन मोतिहारी के एक नेता ने बड़ी राशि अपने पास रख ली।
पार्टी की छवि पर सवाल, विपक्ष ने उठाए आरोप
इस घटनाक्रम के बाद कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष फैल गया है। वहीं विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाकर बीजेपी की कार्यप्रणाली और आंतरिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्टी के अंदर भी अब इसको लेकर फूट पड़ती दिख रही है।
नेता की तलाश में जुटी टीम, कार्रवाई की तैयारी
चर्चा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता अब उस नेता से संपर्क साधने में जुटे हैं। यदि आरोप सिद्ध होते हैं तो अनुशासनात्मक कार्रवाई तय मानी जा रही है। हालांकि अभी तक इस पर कोई औपचारिक पुष्टि नहीं हुई है।
बीजेपी नेताओं ने आरोपों को बताया बेबुनियाद
हालांकि इस पूरे मामले पर प्रदेश कार्य समिति सदस्य प्रदीप कुमार रोज ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा—
“कोई भी पैसा लेकर फरार नहीं हुआ है। यह विपक्ष की साजिश है, जो पार्टी को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है।”
वहीं, भाजपा सिवान के जिला अध्यक्ष राहुल तिवारी ने भी कहा—
“ऐसा कोई मामला नहीं है। यह पूरी तरह निराधार और असत्य है। यदि कोई कार्यकर्ता शिकायत करता है तो हम जांच जरूर कराएंगे।”
क्या कहता है संगठन? जांच होगी या दबेगा मामला?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इस विवाद पर क्या रुख अपनाती है। क्या कार्यकर्ताओं की शिकायतों पर कोई ठोस कार्रवाई होती है या मामला सिर्फ सियासी बयानबाज़ी तक सीमित रह जाएगा?