प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. प्रेमनाथ सिंह ने जताई संतुष्टि, अगले वित्तीय वर्ष में 5 करोड़ टर्नओवर और 50 लाख शुद्ध लाभ का लक्ष्य
मुजफ्फरपुर। जिले में बकरी पालन के क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला रही मेषा महिला बकरी पालक प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड ने अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। कंपनी के कार्यों का निरीक्षण करने पहुंचे भारत फाइनेंस इंडसइंड बैंक के सीएसआर प्रोजेक्ट के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. प्रेमनाथ सिंह ने बताया कि मुजफ्फरपुर जिले में कुल 700 पशु सखी कार्यरत हैं, जो एक लाख बीस हजार बकरी पालकों को सेवाएं दे रही हैं।डॉ. सिंह के साथ स्टेट टेक्निकल मैनेजर खिरोद चंद्र नायक, जीविका से पशुधन प्रबंधक गुंजन कुमार और मत्स्य विशेषज्ञ प्रियेश तिवारी भी मौजूद थे। टीम ने कंपनी के कार्यालय का दौरा कर कंपनी के संचालन और क्रियाकलापों की विस्तृत जानकारी प्राप्त की।
4400 बकरी पालक स्टेकहोल्डर बन चुके हैं हिस्सेदार
कंपनी में अब तक 4400 बकरी पालक स्टेकहोल्डर के रूप में जुड़ चुके हैं। यह महिलाएं खुद को न सिर्फ आत्मनिर्भर बना रही हैं, बल्कि गांव की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रही हैं।
2.6 करोड़ का टर्नओवर, 21 लाख का शुद्ध लाभ
डॉ. प्रेमनाथ सिंह ने बताया कि अप्रैल 2025 तक कंपनी का टर्नओवर 2.6 करोड़ रुपये रहा है, जिससे 21 लाख रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है। कंपनी ने आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए 5 करोड़ रुपये के टर्नओवर और 50 लाख रुपये के शुद्ध लाभ का लक्ष्य रखा है।
बोचहा प्रखंड के जगाही गांव में बकरी पालक दीदियों से की मुलाकात
टीम ने बोचहा प्रखंड के जगाही गांव का भी भ्रमण किया, जहां उन्होंने पशु सखी और बकरी पालक दीदियों से बातचीत की। इस दौरान उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में आए बदलावों के बारे में जाना गया। टीम ने उनके परिश्रम, आत्मनिर्भरता और सामूहिक प्रयासों की सराहना की।
पशु सखी मॉडल बन रहा प्रेरणा का स्रोत
मुजफ्फरपुर में सफल हो रहा यह पशु सखी मॉडल, अब राज्य और देश के अन्य हिस्सों में भी प्रेरणा का स्रोत बनता जा रहा है। बकरी पालन को लेकर महिलाएं अब सिर्फ पालनकर्ता नहीं, बल्कि सक्षम उद्यमी बनकर उभर रही हैं।
कंपनी की कार्यशैली से टीम हुई प्रभावित
कंपनी की कार्यप्रणाली, महिला सशक्तिकरण में उसकी भूमिका और आर्थिक सुदृढ़ता को देखकर निरीक्षण टीम ने गहरी संतुष्टि और प्रसन्नता व्यक्त की। डॉ. प्रेमनाथ सिंह ने कहा, “पशु सखी और बकरी पालकों की मेहनत रंग ला रही है। इस मॉडल को अन्य जिलों में भी लागू किया जा सकता है।”