मौनिया बाबा मेला: सिवान की सांस्कृतिक धड़कन
सेंट्रल डेस्क l केएमपी भारत l पटना
सिवान। कृष्ण मुरारी पांडेय
सिवान जिले के महाराजगंज अनुमंडल मुख्यालय में लगने वाला मौनिया बाबा मेला उत्तर बिहार की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है। भादो माह की अमावस्या को लगने वाले इस मेले का इंतजार पूरे क्षेत्र के लोग सालभर करते हैं। परंपरा और आस्था से जुड़ा यह मेला अब केवल स्थानीय आयोजन नहीं रहा, बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर इसे राजकीय मेला का दर्जा मिलने के बाद इसकी गरिमा और भी बढ़ गई है।

लाखों की भीड़, परंपरा और आस्था का संगम
मौनिया बाबा मेला में हर साल दूर-दराज़ से लाखों श्रद्धालु और दर्शक पहुंचते हैं। यहां उमड़ने वाला जनसैलाब आस्था और सांस्कृतिक उत्साह का अद्भुत संगम पेश करता है। मेले में निकलने वाले महावीरी अखाड़े अपनी आकर्षक प्रस्तुतियों से लोगों का दिल जीत लेते हैं। लकड़ी और लोहे की पारंपरिक वस्तुओं की खरीद-बिक्री भी इस मेले की खास पहचान है। आलमारी, संदूक, ओखल-मूसल जैसी वस्तुएं बड़ी संख्या में बिकती हैं।
शांति समिति की बैठक, नियमों के पालन की अपील
मेले की भव्यता और भारी भीड़ को देखते हुए जिला पदाधिकारी सिवान डॉ आदित्य प्रकाश और पुलिस अधीक्षक सिवान मनोज कुमार तिवारी ने संयुक्त रूप से शांति समिति की बैठक मौनिया बाबा प्रांगण, महाराजगंज में की। अधिकारियों ने समिति के सदस्यों से मेले के दौरान विधि-व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करने की अपील की। उन्होंने साफ कहा कि अखाड़े निकाले जाने के दौरान सरकार द्वारा तय नियमों का पालन अनिवार्य है।
मुख्यमंत्री की पहल से बढ़ा गौरव
जिला पदाधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इसे राजकीय दर्जा दिए जाने से मेले की गरिमा और बढ़ गई है। स्थानीय लोग भी इस निर्णय का स्वागत कर रहे हैं। अब यह मेला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक आधार है, बल्कि रोजगार और पर्यटन की नई संभावनाओं को भी जन्म दे रहा है।
प्रशासन ने की बेहतर ढांचे की तैयारी
जिला प्रशासन का कहना है कि राजकीय दर्जा मिलने के बाद मेले को सुव्यवस्थित और सुनियोजित ढांचे में विकसित किया जा रहा है। सड़क, बिजली, पानी और सुरक्षा से जुड़ी सभी तैयारियों को लेकर प्रशासन गंभीर है। उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले वर्षों में मौनिया बाबा मेला न सिर्फ सिवान बल्कि पूरे बिहार की सांस्कृतिक पहचान के रूप में और भी प्रखर रूप से सामने आएगा।