BHU_Vastu Shastra: भूचयन और मार्ग वेध का सही ज्ञान जरूरी : आचार्य कनुभाई पुरोहित

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बीएचयू वाराणसी के भारत अध्ययन केंद्र में वास्तुविद्या पर व्याख्यान, 65 प्रतिभागी जुड़े

सेंट्रल डेस्क l केएमपी भारत l वाराणसी

बीएचयू, वाराणसी। डॉ. ज्ञानेंद्र नारायण राय

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित भारत अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित “वास्तुविद्या (Indian Science of Architecture)” विषयक 15 दिवसीय अल्पावधि विशिष्ट पाठ्यक्रम के सातवें दिन सोमवार को देश के प्रतिष्ठित ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविद आचार्य कनुभाई पुरोहित, वडोदरा (गुजरात) ने व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने “भूचयन राशि सहित (आकार, प्रकार, स्वरूप वेधादि)” विषय पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि किसी भी भूमि का चयन करते समय उसके आकार-प्रकार और स्वरूप का सही ज्ञान होना आवश्यक है।

चारों ओर सड़क वाला प्लॉट शुभ

आचार्य पुरोहित ने कहा कि यदि किसी भूखंड के चारों दिशाओं में सड़क हो, तो वह विशेष रूप से प्रशस्त और लाभकारी माना जाता है। उन्होंने मार्ग वेध की अवधारणा को पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से स्पष्ट किया। इसी क्रम में उन्होंने एक श्लोकी वास्तुशास्त्र का उल्लेख करते हुए भूमि परीक्षण, वस्तु पूजन, भूमि शोधन और शुभ मुहूर्त में निर्माण कार्य शुरू करने की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला।

प्राकृतिक तत्वों के साथ सामंजस्य ही वास्तुविद्या

केंद्र के समन्वयक प्रोफेसर सदाशिव द्विवेदी ने अतिथि का स्वागत करते हुए कहा कि वास्तुशास्त्र का मूल उद्देश्य निर्माण को प्राकृतिक तत्वों और दिशाओं के साथ सामंजस्य में लाना है। यही सामंजस्य भवन, नगर और पर्यावरण को संतुलित रखता है।

पारम्परिक सिद्धांतों को आधुनिक वास्तुकार भी अपना रहे

पाठ्यक्रम संयोजक डा. ज्ञानेन्द्र नारायण राय ने व्याख्यान का संचालन करते हुए कहा कि आज पारम्परिक भारतीय वास्तुशास्त्र केवल आमजन तक सीमित नहीं है, बल्कि आधुनिक वास्तुकार और नगर नियोजक भी इसे अपनाने लगे हैं। यही कारण है कि इसे अकादमिक रूप से भी महत्व दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अब बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर और स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (SPA) जैसे पाठ्यक्रमों में भी वास्तुशास्त्र को शामिल किया गया है।

65 प्रतिभागी कर रहे अध्ययन

विदित हो कि इस पाठ्यक्रम में श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश समेत देश के विभिन्न राज्यों से लगभग 65 प्रतिभागी जुड़े हुए हैं। इनमें कर्नाटक के 17 प्रतिभागियों की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय है। कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने व्याख्यान को गहरी रुचि से सुना और सवाल-जवाब सत्र में सक्रियता दिखाई।

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