केएमपी भारत। सीवान |
बिहार को फाइलेरिया से मुक्ति दिलाने की दिशा में चलाए जा रहे सर्वजन दवा सेवन अभियान में अहम भूमिका निभाने वाले पंचायत प्रतिनिधियों को अब राज्यस्तरीय सम्मान मिलेगा। 18 जून को राजधानी पटना में आयोजित होने वाले विशेष कार्यक्रम में पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता राज्य के उन चुनिंदा मुखियाओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करेंगे, जिन्होंने फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में विशेष योगदान दिया है।
इस सम्मान समारोह का आयोजन फाइलेरिया राज्य कार्यालय और पीरामल फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। कार्यक्रम में राज्य के 38 जिलों के जिला परिषद अध्यक्ष की उपस्थिति सुनिश्चित की गई है। साथ ही सभी जिलों के प्रखंड विकास पदाधिकारी, ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक, स्वास्थ्य कर्मी और विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि वर्चुअल माध्यम से इसमें भाग लेंगे।
फाइलेरिया के खिलाफ पंचायतों की भूमिका को सराहा जाएगा
पंचायती राज मंत्री द्वारा सम्मानित किए जाने वाले मुखिया उन पंचायतों से हैं, जहां एमडीए अभियान के दौरान बेहतर दवा कवरेज और जनजागरूकता सुनिश्चित की गई। इन पंचायतों ने सामुदायिक भागीदारी, सक्रिय प्रचार, दवा सेवन में जागरूकता और स्वास्थ्य कर्मियों के सहयोग से अभियान को सफल बनाया।
फाइलेरिया से लड़ाई में बिहार अभी भी चुनौतीपूर्ण दौर में
राज्य फाइलेरिया के संक्रमण को जड़ से खत्म करने के लिए हर वर्ष 2 वर्ष से ऊपर के सभी व्यक्तियों को दवा सेवन कराने का कार्यक्रम चलाता है। राज्य फाइलेरिया सलाहकार डॉ. अनुज सिंह रावत ने बताया कि— “बिहार के सभी 38 जिले फाइलेरिया से प्रभावित हैं। यह बीमारी मच्छर के काटने से होती है और लक्षण 10 से 15 वर्षों बाद उभरते हैं। यह गंभीर सूजन, अंगविकृति और सामाजिक कलंक का कारण बनती है। इससे बचाव का एकमात्र उपाय है—एमडीए अभियान के दौरान दी जाने वाली दवा का सेवन।”
अगला बड़ा अभियान: फरवरी 2026
डॉ. रावत ने आगे कहा कि 10 फरवरी 2026 से राज्य में अगला एमडीए अभियान शुरू होने जा रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग, पंचायती राज संस्थान और स्वयंसेवी संगठनों की साझेदारी को और मज़बूत किया जाएगा। उन्होंने आम जनता से अपील की कि— “हर व्यक्ति को दवा का सेवन अवश्य करना चाहिए। यह पूरी तरह से सुरक्षित है और फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से जीवनभर की सुरक्षा देती है।”
वैश्विक संस्थाओं की सहभागिता
इस राज्यस्तरीय कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन, सिफार, लेप्रा सोसायटी सहित कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भाग लेंगी। इनके प्रतिनिधि फील्ड अनुभव साझा करेंगे और भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा करेंगे।