सीवान : चार महीने में ही उजागर हुई लापरवाही, करोड़ों से बने अस्पताल की चहारदीवारी गिरी, भवन में भी आईं दरारें

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मानसून की पहली बारिश में ध्वस्त हुआ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का हिस्सा, स्वास्थ्यकर्मी और मरीजों में मची अफरातफरी

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन 14 फरवरी 2025 को बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, जीरादेई विधायक अमरजीत कुशवाहा और दुरौंधा विधायक कर्णजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह ने संयुक्त रूप से किया था

कृष्ण मुरारी पांडेय। सीवान (नौतन)।
सरकार के विकास कार्यों की पोल एक बार फिर खुल गई है। नौतन प्रखंड क्षेत्र के उत्तर हीरा मोड़ के पास करोड़ों की लागत से बना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उद्घाटन के महज चार महीने बाद ही पहली बारिश में दम तोड़ गया। अस्पताल की चहारदीवारी बुधवार की शाम बारिश के दौरान ढह गई, जिससे स्वास्थ्यकर्मी और मरीजों में भगदड़ मच गई। भवन की दीवारों में भी दरारें देख स्थानीय लोग निर्माण गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे हैं।

फरवरी में हुआ था उद्घाटन, अप्रैल में शुरू हुआ इलाज
इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन 14 फरवरी 2025 को बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, जीरादेई विधायक अमरजीत कुशवाहा और दुरौंधा विधायक कर्णजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह ने संयुक्त रूप से किया था। अप्रैल महीने से मरीजों का इलाज शुरू हो गया था, लेकिन अब चार महीने बाद ही अस्पताल की स्थिति चिंताजनक हो गई है।

100 फीट से अधिक चहारदीवारी गिरी, बाकी भी जर्जर
बुधवार को मानसून की पहली बारिश के दौरान अस्पताल परिसर की सोना नदी की ओर स्थित लगभग 100-150 फीट लंबी चहारदीवारी भरभरा कर गिर गई। गिरने की आवाज और कंपन इतनी तेज थी कि अस्पताल में मौजूद मरीज और स्टाफ घबरा गए। अफरातफरी मच गई। जब लोग बाहर निकले तो देखा कि दीवार धराशायी हो चुकी है। जो दीवारें बची हैं, उनकी स्थिति भी बेहद कमजोर है और कभी भी गिर सकती हैं।

भवन में दरारें देख सहमे लोग, सवालों के घेरे में निर्माण एजेंसी
अस्पताल की ऊपरी मंजिलों की दीवारों में भी दरारें उभर आई हैं। लोगों में भय है कि भवन की स्थिति भी सुरक्षित नहीं है। महज चार महीने में यह हाल देखकर स्थानीय लोग निर्माण एजेंसी और ठेकेदार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं। आमजन का कहना है कि यह पूरी तरह से लापरवाही और भ्रष्टाचार का मामला है, जिसकी जांच होनी चाहिए।

स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग चुप
इस घटना के बाद भी अब तक स्थानीय प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। अस्पताल में मौजूद स्टाफ ने इस पूरे मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

जनता में आक्रोश, जांच और कार्रवाई की मांग
स्थानीय लोगों में गुस्सा है। उनका कहना है कि करोड़ों रुपये खर्च कर बनाया गया यह अस्पताल यदि चार महीने भी नहीं टिक सका, तो इसका जिम्मेदार कौन है? लोगों ने मांग की है कि निर्माण कार्य की उच्चस्तरीय जांच कर दोषी ठेकेदार और अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

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