शरीर के दोषों को बाहर निकालने की पांच विधियां हैं पंचकर्म, न्यूनतम शुल्क में मिल रहा समाधान
केएमपी भारत। सीवान |
आधुनिक जीवनशैली के कारण आजकल हर उम्र के लोग किसी न किसी बीमारी से परेशान हैं। एलोपैथिक इलाज जहां लंबे समय तक दवा पर निर्भर करता है, वहीं आयुर्वेद में इसका स्थायी और प्राकृतिक समाधान है – पंचकर्म।
क्या है पंचकर्म?
आयुर्वेद में पंचकर्म को शरीर शुद्धि की सर्वोच्च प्रक्रिया माना गया है। पंचकर्म का शाब्दिक अर्थ है – पांच क्रियाएं। इन पांच विशिष्ट चिकित्सा विधियों के जरिए शरीर के दोषों (वात, पित्त और कफ) को बाहर निकाला जाता है, जिससे बीमारियां जड़ से खत्म हो जाती हैं।
सिवान के प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य की सलाह
सिवान निवासी और दयानंद आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रोफेसर योगेंद्र नाथ पांडेय पंचकर्म चिकित्सा के बड़े विशेषज्ञ माने जाते हैं। उन्होंने वर्षों तक पंचकर्म पद्धति पर काम किया है और हजारों मरीजों को लाभ पहुंचाया है।
प्रो. पांडेय ने बताया – पंचकर्म के पांच भाग होते हैं:
- वमन (उल्टी द्वारा शुद्धि) – कफ दोष को बाहर निकालने के लिए
- विरेचन (शौच द्वारा शुद्धि) – पित्त दोष के निवारण के लिए
- बस्ति (एनिमा के माध्यम से शोधन) – वात दोष को संतुलित करने के लिए
- नस्य (नाक द्वारा औषधि का प्रवेश) – सिर, मस्तिष्क और श्वसन रोगों में लाभकारी
- रक्तमोक्षण (रक्त शुद्धि) – त्वचा रोग, रक्त विकार आदि में उपयोगी
प्रो. पांडेय कहते हैं कि “हर व्यक्ति के शरीर की प्रकृति और रोग के अनुसार इन पंचकर्म क्रियाओं का चयन किया जाता है। इसका शुल्क भी बहुत ही सामान्य होता है, ताकि आमजन तक इसका लाभ पहुंच सके।”
बिना साइड इफेक्ट के मिल रहा लाभ
आधुनिक दवाओं से जहां शरीर पर दुष्प्रभाव होता है, वहीं पंचकर्म पूर्णतः प्राकृतिक है और इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। पांडेय जी के अनुसार, पंचकर्म न केवल रोग को दूर करता है, बल्कि शरीर को नव ऊर्जा और दीर्घायु भी प्रदान करता है।
सिवान में बड़ी है पंचकर्म की लोकप्रियता
आज सिवान सहित आसपास के जिलों में भी पंचकर्म को लेकर जागरूकता बढ़ रही है। कई मरीज अब एलोपैथी की जगह आयुर्वेद को प्राथमिकता दे रहे हैं।
प्रो. योगेंद्र नाथ पांडेय का संदेश
“अगर हम नियमित जीवनशैली और पंचकर्म जैसी चिकित्सा पद्धति को अपनाएं, तो बीमारियों को आने से पहले ही रोका जा सकता है।” वह कहते हैं कि शरीर की शुद्धि और शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रत्येक मनुष्य को पंचकर्म करना चाहिए।