30 दिन में दे नई गाड़ी या करे मरम्मत
सिवान के राजीव रंजन ने आयोग में दर्ज कराई थी शिकायत

वारंटी में भी नहीं हुई खराब गाड़ी की मरम्मत, उपभोक्ता को मिली मानसिक पीड़ा
आयोग ने कंपनी और फाइनेंसर दोनों को माना दोषी, ₹10,000 हर्जाने के साथ दिए सख्त निर्देश
बिहार न्यूज डेस्क, केएमपी भारत, पटना |
सिवान जिले के दक्षिण टोला निवासी राजीव रंजन की उपभोक्ता अधिकारों की लड़ाई रंग लाई। टाटा मोटर्स ग्रुप की लापरवाह सेवा के खिलाफ उपभोक्ता आयोग में दर्ज शिकायत पर सुनवाई के बाद आयोग ने कंपनी को दोषी करार देते हुए बड़ा फैसला सुनाया।
राजीव रंजन ने आयोग को बताया कि उन्होंने टाटा मोटर्स की एक नैनो कार खरीदी थी, जो वारंटी पीरियड में ही खराब हो गई। उन्होंने बार-बार कंपनी और डीलर से संपर्क किया, लेकिन उनकी समस्या को नजरअंदाज कर दिया गया। इतना ही नहीं, फाइनेंसर को भी जानकारी दी गई, पर किसी ने समस्या का समाधान नहीं किया।
राजीव की मानें तो नैनो कार मध्यमवर्गीय लोगों के लिए एक सपना थी, जिसे उन्होंने साकार किया, लेकिन टाटा मोटर्स की त्रुटिपूर्ण सेवा ने उस सपने को तोड़ दिया।
आयोग ने माना उपभोक्ता को हुई परेशानी:
मामले की सुनवाई करते हुए उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष माननीय जयराम प्रसाद एवं सदस्य माननीय मनमोहन कुमार ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद टाटा मोटर्स को दोषी पाया।
यह रहा आयोग का आदेश:
टाटा मोटर्स एवं विपक्षी 30 दिनों के भीतर वादी को एक नई गाड़ी दें, या
अपने खर्चे पर पहले वाली गाड़ी को पूरी तरह मरम्मत कर दें।
फाइनेंसर को निर्देश दिया गया कि वादी से बकाया किस्तें बिना ब्याज के ली जाएं।
उपभोक्ता को आर्थिक, मानसिक और शारीरिक परेशानी के मुआवजे के रूप में ₹10,000 देने का आदेश।
आयोग ने स्पष्ट किया कि यदि आदेश का पालन 30 दिनों के अंदर नहीं किया गया, तो गाड़ी की कुल कीमत और बकाया किस्तों की राशि में से ₹10,000 घटाकर उस पर 6% वार्षिक ब्याज के साथ राशि वादी को चुकानी होगी।
न्यायिक व्यवस्था पर बढ़ा भरोसा:
राजीव रंजन ने आयोग के इस फैसले को उपभोक्ताओं की जीत बताया और कहा कि यह फैसला उन सभी लोगों के लिए मिसाल है जो बड़ी कंपनियों की लापरवाही के शिकार होते हैं।