बिहार डेस्क l केएमपी भारत l भागलपुर
लखीसराय | अभिनंदन कुमार
लगातार हो रही बारिश के बीच सोमवार को लखीसराय स्टेशन के पास का इलाका दर्द और आंसुओं से भर गया। रेलवे प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करते हुए महादलित बस्ती के 150 से अधिक घरों को बुलडोजर से ढहा दिया। इस कार्रवाई ने करीब 500 लोगों को, जिनमें छोटे बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं, खुले आसमान तले जीने को मजबूर कर दिया।
बस्ती में अफरा-तफरी, सड़क किनारे बिखरा सामान
सुबह से ही बस्ती में तनाव का माहौल था। जैसे ही बुलडोजर घुसा, महिलाएं और बच्चे बक्से, बर्तन, कपड़े और जरूरी सामान समेटने में जुट गए। तेज बारिश के बीच लोगों के सिर से छत छिन गई और उनका सारा सामान सड़क किनारे ढेर हो गया। कई लोग प्लास्टिक, टिन के टुकड़ों और तिरपाल से अस्थायी छत बनाने की कोशिश करते दिखे।

“हम यहीं पैदा हुए, सब उजड़ गया”
बेघर हुई मंजू देवी रोते हुए बोलीं, “हम यहीं जन्मे, यही घर बनाया… आज सब खत्म हो गया। बरसात में बच्चों को कहां ले जाएं, कुछ समझ नहीं आता।” कई माताएं छोटे बच्चों को गोद में लेकर भीगते हुए इधर-उधर ठिकाने की तलाश में भटकती रहीं। नदी किनारे पानी भरने से वहां भी आश्रय की संभावना खत्म हो गई।
रेलवे की दलील और लोगों का आक्रोश
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि जमीन रेलवे की संपत्ति है और विकास कार्यों के लिए अतिक्रमण हटाना जरूरी था। इसके लिए पहले नोटिस और माइक से घोषणा की गई थी। हालांकि, स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन मानते हैं कि बरसात के बीच लोगों को बेघर करना अमानवीय है।
राहत और पुनर्वास की मांग
घटना के बाद सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से तुरंत राहत शिविर खोलने और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की मांग की है, ताकि महिलाएं और बच्चे बारिश और बीमारियों से बच सकें। फिलहाल, बस्ती के लोग आसमान के नीचे अपनी जिंदगी के सबसे कठिन दिनों से गुजर रहे हैं।