सीमावर्ती और आदिवासी सीटों पर बढ़ सकती है पकड़, 12 सीटों पर जताई दावेदारी
सेंट्रल डेस्क l केएमपी भारत l भागलपुर
मुंगेर | संतोष सहाय
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के शामिल होने से इंडिया गठबंधन (महागठबंधन) की रणनीति में नया मोड़ आ गया है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी ने तेजस्वी यादव के आवास पर हुई बैठक में गठबंधन में आने का ऐलान किया। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि जेएमएम की मौजूदगी सीमावर्ती और आदिवासी बहुल इलाकों में गठबंधन को मजबूती दे सकती है।
12 सीटों पर जेएमएम की नजर, 7-8 मिलने की संभावना
सूत्रों के मुताबिक जेएमएम ने 12 विधानसभा सीटों पर दावेदारी पेश की है। चर्चा है कि उसे 7–8 सीटें मिल सकती हैं। पार्टी की निगाह फिलहाल पूर्णिया, बांका, धमदाहा, चकाई, तारापुर और कटोरिया पर है। इनमें बांका, चकाई, कटोरिया और तारापुर जैसी सीटें झारखंड सीमा से सटी हैं, जहां जेएमएम का संगठन और आदिवासी वोट बैंक असर डाल सकता है। धमदाहा और पूर्णिया में भी पार्टी के लिए संभावनाएं मजबूत मानी जा रही हैं।
सीमावर्ती राजनीति में बड़ा कदम
जेएमएम नेताओं का कहना है कि वे कम सीटों पर भी तैयार हैं, बशर्ते सीटें प्रभावशाली हों। पार्टी का मानना है कि आदिवासी बहुल इलाकों में उसकी पकड़ गठबंधन को नए सामाजिक समीकरण दे सकती है। इससे आरजेडी-कांग्रेस-वाम दलों के साथ इंडिया गठबंधन को सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़त मिल सकती है।
पिछले प्रदर्शन से सबक लेकर मैदान में उतरेगी पार्टी
2010 में जेएमएम ने चकाई से जीत दर्ज की थी, जबकि 2015 में 32 सीटों पर उतरकर जमानत गंवानी पड़ी थी। इस बार रणनीति अलग है—महागठबंधन के सहारे मजबूत सीटों पर दांव लगाया जाएगा। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जैसे झारखंड में जेएमएम ने आरजेडी को 6 सीटें दी थीं, वैसे ही बिहार में राजद को 7-8 सीटें छोड़ने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
इंडी गठबंधन अब सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला करेगा, जिसके बाद चुनावी तस्वीर और साफ हो जाएगी।