भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के संघर्ष और विकास पर पहली शोधपरक कृति, साहित्यकारों ने सराहा
सेंट्रल डेस्क l केएमपी भारत l वाराणसी
वाराणसी | कृष्ण मुरारी पांडेय
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के भोजपुरी अध्ययन केंद्र में शनिवार को साहित्य और सिनेमा के मेल का एक अनोखा आयोजन हुआ। ‘किताब की बात’ शृंखला के तहत सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं शोधकर्ता मनोज भावुक की पुस्तक ‘भोजपुरी सिनेमा के संसार’ का लोकार्पण राहुल सभागार में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत केंद्र के समन्वयक प्रभाकर सिंह ने स्वागत भाषण से की। उन्होंने कहा कि भोजपुरी सिनेमा के इतिहास पर शोधपरक ग्रंथ का प्रकाशन क्षेत्रीय सिनेमा को नई दिशा देगा। पुस्तक का प्रकाशन मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा किया गया है।
पुस्तक पर विचार व्यक्त करते हुए प्रो. धीरेन्द्र कुमार राय ने कहा, “मनोज भावुक ने भोजपुरी सिनेमा के संघर्ष, विकास और बदलते परिदृश्य को गहराई से दर्ज किया है। यह रचना केवल सिनेमा का दस्तावेज़ नहीं, बल्कि भोजपुरी समाज और संस्कृति का भी आईना है।”
लेखक मनोज भावुक ने अपने वक्तव्य में कहा कि भोजपुरी सिनेमा लोक-जीवन और संस्कृति का संवाहक है। “यह पुस्तक मेरे 30 वर्षों के अनुभव और शोध की साधना का नतीजा है,” उन्होंने बताया।
आभार ज्ञापन करते हुए विश्वमौलि ने कहा कि यह कृति भोजपुरी साहित्य और सिनेमा के बीच सेतु का काम करेगी और आने वाली पीढ़ियों के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज़ सिद्ध होगी।
कार्यक्रम का संचालन शोध छात्रा शिवांगी सिंह ने किया। अवसर पर विश्वविद्यालय के कई शिक्षक, शोधार्थी और साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।