बेगूसराय के एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, बीजेपी नेता राम लखन सिंह और वीरेंद्र ईश्वर को जेल भेजा, सूरजभान को मिली जमानत
सेंट्रल डेस्क l केएमपी भारत l पटना
बेगूसराय | 33 साल पुराने पुलिस पर फायरिंग मामले में आखिरकार मंगलवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया। बेगूसराय के एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व सांसद और बाहुबली नेता सूरजभान सिंह समेत तीन लोगों को दोषी करार दिया। कोर्ट ने सूरजभान सिंह को धारा 353 में एक साल की सजा सुनाई, जबकि बीजेपी नेता राम लखन सिंह और वीरेंद्र ईश्वर उर्फ शोषण सिंह को चार साल कैद की सजा हुई। फैसला आते ही पुलिस ने दोनों नेताओं को कोर्ट परिसर से ही हिरासत में ले लिया, जबकि सूरजभान को जमानत मिल गई।
1992 का मामला, पुलिस पर हुई थी ताबड़तोड़ फायरिंग
यह पूरा मामला 9 अक्टूबर 1992 का है। उस समय पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ अपराधी मोम फैक्ट्री में हथियारों के साथ छिपे हैं। जैसे ही पुलिस वहां पहुंची, आरोपियों ने उन पर फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की और अपनी जान बचाई। घटना के दौरान पुलिस ने राम लखन सिंह और वीरेंद्र ईश्वर को मौके से ही गिरफ्तार कर लिया था, जबकि सूरजभान सिंह भागने में सफल हो गए थे।
एएसआई ने दर्ज कराया था मामला, 12 गवाह हुए पेश
इस घटना को लेकर एफसीआई थाना में तैनात एएसआई उमाशंकर सिंह ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। मामले की सुनवाई के दौरान कुल 12 गवाहों की गवाही हुई। उस समय के जिलाधिकारी रामेश्वर सिंह ने भी कोर्ट में आकर घटना की पुष्टि की थी।
कई धाराओं में सजा, सूरजभान को राहत
कोर्ट ने राम लखन और वीरेंद्र ईश्वर को धारा 307, 353, 26 और 27 आर्म्स एक्ट के तहत दोषी पाते हुए 3 से 4 साल की सजा सुनाई। वहीं पूर्व सांसद सूरजभान सिंह को धारा 353 के तहत एक साल कैद की सजा मिली। उनके वकील मंसूर आलम ने जमानत की अर्जी दी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया।
33 साल पुराने इस केस का फैसला आने के बाद बेगूसराय में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। अदालत के फैसले ने एक बार फिर पुराने दौर की उस घटना को चर्चा में ला दिया है, जिसने पुलिस और अपराधियों की मुठभेड़ का रूप लिया था।