200 करोड़ का घोटाला! सीवान नगर परिषद में टैक्स दरोगा से लेकर लेखापाल तक की जिम्मेदारी निभा रहे विजय शंकर सिंह पर गंभीर आरोप

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सभापति सेंपी देवी ने ADG EOU को दिया आवेदन, तत्काल कार्रवाई और सम्पत्ति जांच की मांग की

कृष्ण मुरारी पांडेय। सीवान

सीवान नगर परिषद में एक बार फिर तथाकथित बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। नगर परिषद की सभापति सेंपी देवी ने अपने पत्रांक 25, दिनांक 22 फरवरी 2025 के अंतर्गत आर्थिक अपराध इकाई (EOU), बिहार सरकार को एक विस्तृत आवेदन भेजकर प्रभारी प्रधान सहायक विजय शंकर सिंह और तत्कालीन नगर कार्यपालक पदाधिकारी पर करीब 200 करोड़ रुपये के वित्तीय घोटाले, पद के दुरुपयोग और नियमों की अनदेखी के गंभीर आरोप लगाए हैं। सभापति ने मांग की है कि इनकी संपत्ति की जांच कर इन्हें पद से हटाया जाए और सख्त कानूनी कार्रवाई हो।

सभापति सेंपी देवी ने ADG EOU को दिए आवेदन में लगाए हैं ये आरोप

  1. तीन पदों का एक साथ प्रभार, ताकत का गलत इस्तेमाल

सभापति सेंपी देवी ने अपने आवेदन में उल्लेख किया है कि विजय शंकर सिंह 2020 से नगर परिषद में टैक्स दरोगा, अकाउंटेंट और हेड क्लर्क तीनों पदों का एक साथ प्रभार संभाले हुए हैं। इस दौरान उन्होंने अपने रसूख और प्रभाव का इस्तेमाल कर विभागीय कार्यों में मनमानी की है।

  1. बिना टेंडर के कराए 2500 निर्माण कार्य

नगर परिषद सीवान में बिना किसी निविदा प्रक्रिया के करीब 2500 सड़क और नाला निर्माण कार्य कराए गए। भुगतान भी कर दिया गया, जिसकी कुल राशि लगभग 200 करोड़ बताई जा रही है। कई योजनाओं में काम अधूरा या कम हुआ, फिर भी भुगतान हुआ।

  1. टैक्स और शुल्क में भी भारी गड़बड़ी

GST, लेबर सेस, इनकम टैक्स, सिग्नोराज फीस जैसे सरकारी राजस्व को भुगतान न कर उसे सीधे संवेदकों और कर्मियों में बांट दिया गया।

  1. स्टोन चिप्स रॉयल्टी में गड़बड़ी

मापी पुस्तिका में रॉयल्टी दर में हेराफेरी की गई — कहीं 150 रु. घन मीटर, तो कहीं 95 रु. दर्शाया गया।

  1. 15 वार्डों की सफाई में भी गड़बड़ी

30 वार्डों की सफाई आउटसोर्स एजेंसी को सौंपी गई है। बाकी 15 वार्डों के लिए पहले से संसाधन मौजूद थे, फिर भी हर महीने 80-90 डेली वेज मजदूरों के नाम पर लाखों की निकासी हो रही है, वो भी बिना बायोमेट्रिक उपस्थिति के।

  1. स्वहस्तलिपि से दूर रह कर घोटाले की जमीन तैयार

संचिकाओं पर विजय शंकर सिंह की हस्तलिपि नहीं मिलती। उन्होंने अपने मनमाने तरीके से कर्मचारी रखवाकर दस्तावेज भरवाए, जिससे फर्जीवाड़ा की संभावना है।

  1. करोड़ों के फर्जी वाउचर और पेमेंट

ज्यादातर भुगतान फर्जी वाउचरों से किए गए हैं। ये भुगतान सशक्त स्थायी समिति की स्वीकृति और वित्त नियमावली के खिलाफ है।

  1. डीजल घोटाला – 50 लीटर की टंकी में 160 लीटर डीजल

सफाई वाहनों और फॉगिंग मशीन के नाम पर एक दिन में 160 लीटर डीजल की निकासी दिखाई गई, जबकि टंकी की क्षमता सिर्फ 50 लीटर है।

  1. निजी कार्य में सरकारी मजदूरों की तैनाती

अपने गांव के लड़कों को दैनिक मजदूर बना कर निजी काम — ढाबा, मैरिज हॉल, घरेलू ड्राइवरी — में लगा रखा है। इसकी पुष्टि CCTV फुटेज से हो सकती है।

  1. डबल भुगतान: एक ही योजना के तीन बार पैसे

2023-24 और 2024-25 में कई योजनाओं में दो से तीन बार भुगतान दर्शाया गया है। जैसे योजना संख्या 221 का भुगतान 267, 451 और 882 के नाम पर भी किया गया।

  1. नियमों के खिलाफ पीसीसी रोड और महंगी बेंच

10 फीट से कम चौड़ी सड़क पर भी पीसीसी रोड बना दी गई। बेंच की कीमत बाजार में 4500 रु., लेकिन टेंडर में 11,509 रु. प्रति बेंच दिखाकर लाखों की निकासी की गई, जबकि सभी वार्डों में बेंच लगाए भी नहीं गए।

सभापति की मांग – टीम गठित कर हो निष्पक्ष जांच

सभापति सेंपी देवी ने आर्थिक अपराध इकाई को आवेदन देकर मांग की है कि इन तमाम मामलों की निष्पक्ष जांच के लिए टीम गठित की जाए और दोषियों पर कार्रवाई हो। साथ ही श्री सिंह को तत्काल प्रभाव से हटाने का निर्देश नगर कार्यपालक पदाधिकारी को देने का अनुरोध किया गया है।

क्या कहते हैं कार्यपालक पदाधिकारी?

“यह मामला संज्ञान में है। 22 फरवरी 2025 को इस संबंध में आवेदन दिया गया था। विभाग को इसकी जानकारी है और पूरे मामले में जांच चल रही है।”

अनुभूति श्रीवास्तव, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद सीवान

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