पेड़ है तो कल है: सीवान के EarthCare डॉक्टर सुनीत रंजन की अनोखी पहल, इंजीनियरिंग कॉलेज में लगाए 50 पौधे

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“वृक्ष लगाना भी सेवा है” — मेडिकल सेवा के साथ अब पर्यावरण सेवा में जुटे हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनीत


नीम, पीपल, अमरूद और अशोक जैसे छायादार-फलदार पौधों से सजी कॉलेज की हरियाली

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सीवान |
“पर्यावरण की रक्षा सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, बल्कि संस्कार है” — इसी विचार को धरातल पर उतारते हुए सिवान के चर्चित नस, स्पाइन एवं हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनीत रंजन ने राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालय परिसर में वृक्षारोपण का बड़ा अभियान चलाया।

“EarthCare डॉक्टर” के नाम से प्रसिद्ध डॉ. रंजन के नेतृत्व में कॉलेज परिसर में 50 पौधे रोपे गए। अभियान की शुरुआत सुबह 10 बजे कॉलेज प्रशासन की अनुमति के बाद की गई। कार्यक्रम में छात्रों, शिक्षकों और पर्यावरण प्रेमियों की उल्लेखनीय भागीदारी रही।

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जब डॉक्टर ने थामी पर्यावरण सेवा की कमान

डॉ. सुनीत रंजन, जो नस, स्पाइन, साइटिका, गठिया व डिस्क संबंधी बीमारियों के विशेषज्ञ हैं, अब समाज को स्वस्थ रखने के साथ-साथ धरती को भी स्वस्थ बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा —

“वृक्ष लगाना सेवा का ही एक रूप है। यह हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए सांसें बचाने जैसा है।”

इस मौके पर उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को लेकर जनजागरूकता फैलाने की अपील की और कहा कि सिर्फ इलाज से नहीं, अब पेड़ लगाकर भी जीवन बचाया जा सकता है।

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चयनित पौधों से होगी हरियाली और संतुलन

वृक्षारोपण के लिए नीम, पीपल, अमरूद और अशोक जैसे छायादार और फलदार पौधों का चयन किया गया। यह पौधे न केवल पर्यावरण संतुलन में सहायक होंगे, बल्कि कॉलेज परिसर को हरा-भरा भी बनाएंगे।

डॉ. रंजन के नेतृत्व में “सुनित रंजन फाउंडेशन” द्वारा चलाए जा रहे EarthCare अभियान का उद्देश्य युवाओं में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और वृक्षारोपण को जन आंदोलन बनाना है।


जब डॉक्टर इलाज के साथ दे रहा प्रकृति को नई सांसें

डॉ. रंजन अब तक अपने चिकित्सा अनुभव से हजारों रोगियों को नया जीवन दे चुके हैं। लेकिन अब वह सिर्फ मानव शरीर को नहीं, बल्कि धरती को भी स्वास्थ्य दे रहे हैं। यही कारण है कि अब लोग उन्हें स्नेहपूर्वक “सिवान का EarthCare डॉक्टर” कहने लगे हैं।


जन सहयोग बना अभियान की पहचान

कॉलेज प्रबंधन, शिक्षकगण, छात्र-छात्राएं और स्थानीय लोगों की उपस्थिति ने इस वृक्षारोपण को एक सामूहिक अभियान में बदल दिया। कार्यक्रम की हर तस्वीर में पर्यावरण के प्रति उत्साह और प्रतिबद्धता साफ झलक रही थी।


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