पूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव के फेसबुक पोस्ट से गरमाई सीवान की सियासत
स्वास्थ्य मंत्री की सीवान प्रेस वार्ता के बाद भड़की सियासी चिंगारी
सेंट्रल डेस्क, केएमपी भारत, पटना
कृष्ण मुरारी पांडेय। सीवान। सीवान में बीते दिनों स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय की प्रेस वार्ता के बाद भाजपा के ही वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव के फेसबुक पोस्ट ने हलचल बढ़ा दी है। उन्होंने शहाबुद्दीन के नाम पर हो रही चर्चा को बेमतलब बताते हुए अपराध पर गंभीर मंथन की बात कही।
“जो दुनिया में नहीं, उसकी चर्चा से क्या होगा?” – ओमप्रकाश यादव
पूर्व सांसद ने सोशल मीडिया पर लिखा –
“जो आदमी इस दुनिया में नहीं है, उसके नाम पर चर्चा कर अपराध नहीं रुकता। यदि यह प्रेस वार्ता उनके जीवित रहते होती तो समर्थन मिलता। अब जबकि सरकार और प्रशासन दोनों हमारे हैं, तो जिम्मेदारी भी हमारी ही है।”
इस बयान को भाजपा के भीतर नाराजगी की आहट और बाहर राजनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
मुस्लिम वोट साधने की रणनीति या सधी हुई चुप्पी?
स्थानीय राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि ओमप्रकाश यादव ने यह बयान मुस्लिम समाज को साधने के लिए दिया है।
इस पोस्ट को लेकर चर्चा है कि वह राजद के प्रति एक नरम रुख दिखा रहे हैं। प्रेस वार्ता की आलोचना कर उन्होंने भाजपा की रणनीति पर ही सवाल उठा दिए हैं।
रिश्तेदार अवध बिहारी को फायदा पहुंचाने की चर्चा तेज
सियासी गलियारों में जोरदार चर्चा है कि ओमप्रकाश यादव का यह पोस्ट उनके समधी और राजद विधायक अवध बिहारी चौधरी को सियासी फायदा पहुंचाने की रणनीति का हिस्सा है।
अवध बिहारी चौधरी बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हैं और सीवान सदर से राजद के विधायक हैं।
ओमप्रकाश यादव और चौधरी के बीच पारिवारिक संबंध हैं — और यही रिश्तेदारी अब भाजपा के लिए असहज स्थिति पैदा कर रही है।

क्या भाजपा के भीतर सब कुछ ठीक नहीं?
पूर्व सांसद का यह पोस्ट भाजपा की रणनीति और एकता पर सवाल खड़ा करता है।
क्या यह पोस्ट नाराजगी की अभिव्यक्ति है?
या फिर एक सधी हुई सियासी चाल, जिसमें विरोधी खेमे को परोक्ष मदद पहुंचाई जा रही है?
भाजपा की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अंदरखाने खलबली मची है।
सीवान की राजनीति में रिश्तेदारी बनाम निष्ठा की जंग
सीवान की राजनीति में अब सिर्फ विचारधारा नहीं, रिश्तेदारियां भी प्रमुख हो गई हैं।
भाजपा और राजद के बीच की खींचतान अब वैचारिक न होकर व्यक्तिगत समीकरणों पर आ टिकी है।
अगले विधानसभा चुनावों से पहले यह बयान और इस पर पार्टी का रुख आगामी सियासी समीकरणों को तय करेगा।
अब सबकी नजर भाजपा के रुख पर
ओमप्रकाश यादव के बयान ने सीवान में सियासी उबाल ला दिया है।
अब देखना यह है कि भाजपा इस बयान को किस तरह लेती है — सख्त कार्रवाई, चुप्पी या रणनीतिक चुपचाप समझौता के रूप में ?