खनुआ नदी पर शुरू हुआ पक्का पुल का निर्माण, शिक्षा मंत्री सुनील कुमार के प्रयास से मंजूरी, ग्रामीणों में खुशी की लहर
केएमपी भारत डेस्क | कटेया (गोपालगंज)
आज़ादी के 75 वर्षों बाद आखिरकार बैरिया पंचायत के लोगों की वर्षों पुरानी पीड़ा खत्म होने जा रही है। खनुआ नदी पर डुमरौना के सामने पक्के पुल का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। अब बैरिया के ग्रामीणों को हर साल बरसात में जान जोखिम में डालकर चचरी पुल पार नहीं करना पड़ेगा।
बरसात में होती थी जान की बाज़ी, अब मिलेगा सुरक्षित रास्ता
गांव के बुजुर्ग रामदेव प्रसाद कहते हैं, “बरसात आते ही दिल बैठ जाता था। लकड़ी और बांस से बना चचरी पुल कब टूट जाए, पता नहीं चलता था। कई बार बच्चे और महिलाएं गिरते-गिरते बचे। अब लग रहा है कि हमारे बच्चे सुरक्षित स्कूल जा सकेंगे और हम भी सम्मान से प्रखंड मुख्यालय जा सकेंगे।”
7.45 करोड़ की लागत से बन रहा पुल, शिक्षा और स्वास्थ्य को मिलेगा बढ़ावा

इस बहुप्रतीक्षित पुल का निर्माण लगभग 7.45 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है। इसका सीधा लाभ शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंचने में मिलेगा। गांव की गीता देवी कहती हैं, “अब प्रसव के समय अस्पताल जाना आसान होगा। पहले चचरी पुल पार करते समय डर बना रहता था कि कहीं रास्ते में ही कुछ न हो जाए।”
विधायक और शिक्षा मंत्री सुनील कुमार की पहल से मिला प्रोजेक्ट को जीवन
स्थानीय विधायक सह शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने ग्रामीणों की समस्या को गंभीरता से लिया और पुल निर्माण के लिए विभागीय स्वीकृति दिलाई। वर्षों से उपेक्षित इस मांग को उन्होंने अपनी प्राथमिकता में रखा और आज निर्माण कार्य शुरू हो चुका है।
स्थानीय मुखिया संतोष कुमार मिश्रा ने मंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा, “जिस काम को अब तक कोई नहीं कर पाया, वह मंत्री जी ने कर दिखाया। बैरिया की पुकार अब शासन तक पहुंची है।”
हर दिन पहुंचते हैं ग्रामीण, बनना चाहते हैं ऐतिहासिक क्षण के गवाह
पुल निर्माण कार्य के शुरू होते ही ग्रामीणों में नई ऊर्जा देखने को मिल रही है। हर दिन दर्जनों लोग निर्माण स्थल पर पहुंचते हैं और काम की प्रगति देखते हैं। बच्चे, बूढ़े, महिलाएं—हर कोई उस दिन का इंतज़ार कर रहा है जब यह पुल पूरी तरह बनकर तैयार होगा।
अब विकास की पटरी पर बैरिया, पुल और स्कूल देंगे नई दिशा
पुल निर्माण के साथ-साथ बैरिया में स्कूल भवन निर्माण कार्य भी शुरू हो चुका है। ये दोनों परियोजनाएं क्षेत्र के लिए विकास की नई दिशा का संकेत हैं। दशकों की उपेक्षा के बाद अब बैरिया की तस्वीर बदलती दिख रही है।
-रिपोर्ट : रंजना राय, कटेया, गोपालगंज