Kaimur news: चेहरा नहीं, बच्चों का भविष्य देखकर करें वोटिंग : कैमूर में बोले प्रशांत किशोर

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कहा- मोदी-नीतीश-लालू नहीं, इस बार जनता के मुद्दों पर होगा चुनाव, छठ के बाद मिलेगा रोजगार

बिहार डेस्क l केएमपी भारत l पटना

कैमूर l अजीत कुमार
‘जन सुराज’ अभियान के तहत बिहार की यात्रा पर निकले प्रशांत किशोर ने रविवार को कैमूर जिले के चैनपुर विधानसभा क्षेत्र स्थित किसान इंटर कॉलेज मैदान में जनसभा को संबोधित किया। भीड़ से खचाखच भरे मैदान में उन्होंने भावनात्मक अपील करते हुए कहा, “इस बार नेताओं का चेहरा नहीं, अपने बच्चों का चेहरा देखकर वोट दीजिए।” उन्होंने लालू यादव, नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला।

प्रशांत किशोर ने कहा कि आपने नरेंद्र मोदी को चायवाला मानकर प्रधानमंत्री बना दिया, लालू यादव को भैंस चराने वाला जानकर 30 साल तक शासन करने दिया, नीतीश कुमार को वैद्य का बेटा कहकर 20 साल तक सत्ता में रखा, लेकिन आपने कभी अपने बच्चों के चेहरे देखकर वोट नहीं किया।


“बिहार के पैसे से गुजरात में लग रही फैक्ट्री, मजदूरी करने जा रहे हमारे युवा”

प्रशांत किशोर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी बिहार के लोगों का वोट लेकर गुजरात में फैक्ट्री लगवा रहे हैं। बिहार के युवा 10-12 हजार रुपये में उन्हीं फैक्ट्रियों में मजदूरी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि “इस बार लूटने वाले नेताओं को वोट न दें, अपने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर वोट करें।”


छठ के बाद मिलेगा बिहार में ही रोजगार, बुजुर्गों को पेंशन और बच्चों को फ्री एजुकेशन

जनसभा के दौरान प्रशांत किशोर ने कई बड़े वादे किए। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2025 से राज्य में 60 साल से अधिक उम्र के हर व्यक्ति को 2000 रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी। इसके अलावा, जब तक सरकारी स्कूलों में सुधार नहीं हो जाता, तब तक 15 साल से कम उम्र के बच्चों की प्राइवेट स्कूल की फीस सरकार उठाएगी।

उन्होंने कहा कि “इस साल बिहार की बदहाली की आखिरी दिवाली और छठ होगी।” छठ के बाद कोई युवा चैनपुर, कैमूर या रोहतास से पलायन नहीं करेगा। उन्होंने वादा किया कि बिहार में ही 50 लाख युवाओं को 12 हजार रुपये तक की रोजगार की व्यवस्था की जाएगी।


“जनता का राज स्थापित करने का समय आ गया है”

प्रशांत किशोर ने जनता से अपील की कि अब वक्त आ गया है जब बिहार में जनता का राज स्थापित हो। उन्होंने कहा कि ये लड़ाई सत्ता बदलने की नहीं, व्यवस्था बदलने की है। कार्यक्रम में भारी संख्या में लोगों की मौजूदगी और तालियों की गूंज ने माहौल को जन आंदोलन जैसा बना दिया।

 

 

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