कुएं-चापाकल सूखे, धान का बिचरा मुरझाया, किसान बेहाल… आसमान से उम्मीद लेकर जुटे सैकड़ों लोग
बिहार डेस्क, केएमपी भारत, मुजफ्फरपुर।
सीतामढ़ी। जिले में इस बार मानसून ने जैसे मुंह मोड़ लिया हो। जुलाई खत्म होने को है, लेकिन अब तक ढंग की बारिश नहीं हुई। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि गांव-गांव में लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। शहर से लेकर गांव तक लाखों चापाकल और कुएं सूख चुके हैं। खेतों में सूखती धान की बिचड़ी किसानों की उम्मीदों को भी साथ में जला रही है।
आमतौर पर इस समय खेतों में हरियाली नजर आती है, मगर इस बार खेत सूने पड़े हैं। धान की रोपनी के लिए जरूरी पानी नहीं मिलने से हजारों किसान असमंजस में हैं कि अगला कदम क्या उठाएं। बारिश नहीं हुई तो फसल तो बर्बाद होगी ही, साथ ही कर्ज का बोझ और बढ़ेगा।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिले के लोग अब आसमान की ओर देख रहे हैं। बुधवार को सीतामढ़ी के हुसैना ईदगाह में सैकड़ों की संख्या में लोग जमा हुए। उन्होंने खुदा के दरबार में हाथ उठाकर बारिश की फरियाद की। यह नजारा बेहद मार्मिक था। छोटे बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं—सभी नम आंखों से दुआ मांगते नजर आए।
स्थानीय लोगों को विश्वास है कि जब इतने लोगों की सच्चे दिल से निकली दुआ खुदा तक पहुंचेगी, तो राहत की बारिश जरूर होगी।
हालांकि प्रशासन की ओर से अब तक कोई विशेष राहत योजना की घोषणा नहीं हुई है। लोग टैंकर से पानी लाने पर मजबूर हैं। जिले के कई प्रखंडों से आ रही तस्वीरें हालात की भयावहता को बयां कर रही हैं।