उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में समाहरणालय सभागार में हुई अहम बैठक, बैंकों को आदेश—लाभार्थियों की राशि सुरक्षित रहे
बिहार डेस्क l पटना
केएमपी भारत न्यूज। सिवान। मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत जीविका महिला समूहों की सदस्याओं को सरकार द्वारा दी गई आर्थिक सहायता राशि अब किसी भी ऋण खाते में समायोजित नहीं की जाएगी। इसको लेकर सोमवार को समाहरणालय सभागार में हुई बैठक में उप विकास आयुक्त (डीडीसी) ने सभी बैंकों और एनबीएफसी प्रतिनिधियों को स्पष्ट निर्देश दिए।
बैठक में बताया गया कि सरकार की ओर से जीविका महिला सदस्याओं के खातों में ₹10,000 की राशि अंतरित की गई है। इस राशि का उद्देश्य लाभार्थियों को आत्मनिर्भर बनाना और छोटे रोजगार-कारोबार में सहयोग करना है। ऐसे में यदि बैंकों द्वारा इसे ऋण वसूली में समायोजित किया जाएगा, तो योजना का मकसद ही खत्म हो जाएगा।
डीडीसी ने सभी शाखा प्रबंधकों को कड़े शब्दों में कहा कि इस राशि का उपयोग केवल लाभार्थियों के व्यक्तिगत उपयोग और रोजगार सृजन गतिविधियों के लिए होना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में यह राशि लोन अकाउंट में एडजस्ट नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि किसी भी शाखा से इस आदेश के उल्लंघन की शिकायत प्राप्त होती है, तो संबंधित बैंक और उसकी शाखा जिम्मेदार मानी जाएगी और कार्रवाई भी तय है।
बैठक में यह भी तय हुआ कि सभी संबंधित शाखा प्रबंधक इस निर्देश को अपने-अपने स्तर पर तत्काल लागू करेंगे और इसकी निगरानी भी करेंगे। साथ ही, जिला प्रशासन ने यह साफ कर दिया कि राशि का दुरुपयोग रोकना बैंकों की जिम्मेदारी होगी।
बैठक में एनबीएफसी प्रतिनिधि और बैंकों के अधिकारी मौजूद रहे। जिला जनसंपर्क पदाधिकारी ने बताया कि यह कदम जीविका महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता और योजनाओं के सही क्रियान्वयन के लिए बेहद जरूरी है।
नोट: जिला प्रशासन ने महिलाओं से भी अपील की है कि यदि किसी बैंक शाखा द्वारा उनकी राशि का ऋण समायोजन में उपयोग किया जाता है, तो इसकी तत्काल शिकायत जिला पदाधिकारी या जीविका कार्यालय में दर्ज कराएं।