परिवहन आयुक्त के निर्देश पर महराजगंज में दर्ज हुआ मुकदमा, अन्य राज्यों की बसों की भी जांच शुरू
सेंट्रल डेस्क, केएमपी भारत, गोरखपुर
महराजगंज। विशेष संवाददाता
भारत-नेपाल सीमा पर सोनौली के रास्ते बड़े स्तर पर चल रहे फर्जी परमिट रैकेट का खुलासा हुआ है। सुरक्षा एजेंसियों और परिवहन विभाग की संयुक्त कार्रवाई में 13 बसों के पास से फर्जी परमिट बरामद हुए हैं, जिनके आधार पर नेपाल में अवैध रूप से आवाजाही की जा रही थी। यह बसें उत्तर प्रदेश के महराजगंज, अलीगढ़, इटावा, औरैया के अलावा आंध्र प्रदेश व राजस्थान की भी हैं।
स्पेशल परमिट के नाम पर हो रहा था खेल
मामला 12 जुलाई को उस समय सामने आया जब भारत से नेपाल जा रही एक बस को जांच के लिए रोका गया। उस बस के पास एक ‘स्पेशल अस्थायी परमिट’ मिला जो नेपाल प्रवेश के वैध परमिट से बिल्कुल अलग था। बाद में जब अन्य बसों की भी जांच की गई तो वही पैटर्न सामने आया। सभी परमिट ‘भारत-नेपाल यात्री परिवहन समझौता 2014’ के अनुरूप नहीं थे।
परिवहन विभाग की जांच में फर्जीवाड़े की पुष्टि
संदेह गहराने पर परिवहन आयुक्त ने जांच के निर्देश दिए। महराजगंज के एआरटीओ मनोज सिंह ने दस्तावेजों की गहन जांच के बाद पुष्टि की कि परमिट न तो परिवहन विभाग के किसी वैध कार्यालय से जारी किए गए थे और न ही उनके रिकॉर्ड में दर्ज हैं।
गांधीनगर की महिला पर FIR, अन्य बसों पर कार्रवाई की तैयारी
जांच के बाद महराजगंज के गांधीनगर निवासी एक बस मालकिन श्रीमती देवी के खिलाफ एआरटीओ मनोज सिंह की तहरीर पर सदर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। उन पर कूटरचना और जालसाजी की धाराएं लगाई गई हैं।
संगठित गिरोह की आशंका, कई राज्यों की बसें जांच के घेरे में
सदर कोतवाली प्रभारी सतेंद्र कुमार राय के अनुसार, यह कोई संगठित गिरोह हो सकता है जो नेपाल रूट पर फर्जी परमिट के जरिए करोड़ों का अवैध धंधा कर रहा है। परिवहन विभाग ने अन्य 12 बसों की जानकारी संबंधित जिलों को भेज दी है ताकि वहां भी जांच और कानूनी कार्रवाई की जा सके।
नेपाल के साथ समझौते को बनाया जा रहा था धंधे का जरिया
जानकारों का मानना है कि भारत-नेपाल के बीच यात्री परिवहन समझौते की आड़ में फर्जी परमिट बनाकर बस संचालक सीमा पार यातायात कर रहे थे। अगर समय रहते इस गड़बड़ी का खुलासा नहीं होता, तो यह मामला और अधिक गंभीर रूप ले सकता था।