कैलाश मानसरोवर के निर्बाध दर्शन हेतु तिब्बत मुक्ति यात्रा शुरू करने से पहले काशी में विचार गोष्ठी
यूपी डेस्क, केएमपी भारत, वाराणसी
डॉ. अंजनी कुमार मिश्र, वाराणसी।
तिब्बत की आज़ादी और कैलाश मानसरोवर के निर्बाध दर्शन की मांग को लेकर शुरू होने वाली वार्षिक तिब्बत मुक्ति यात्रा की पूर्व संध्या पर वाराणसी के अस्सी घाट स्थित मुमुक्षु भवन में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन भारत तिब्बत मैत्री संघ, उत्तर प्रदेश द्वारा किया गया, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और आध्यात्मिक नेतृत्व से जुड़े लोगों ने भाग लिया। https://youtu.be/tRVs_ZXUYOE?si=w6DFUdYswxMuv8J0
तीर्थ यात्रा के साथ तिब्बत की स्वतंत्रता का संदेश
40 यात्रियों का जत्था वाराणसी से होकर वैद्यनाथ धाम और बोधगया तक करेगा यात्रा
कार्यक्रम के संयोजक और भारत तिब्बत मैत्री संघ, उत्तर प्रदेश के महासचिव डा. अंजनी कुमार मिश्र ने बताया कि यह यात्रा विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी आरा, पटना, सुल्तानगंज होते हुए वैद्यनाथ धाम पहुँचेगी। वहां से यात्रा छिन्नमस्ता देवी रजरप्पा में वृहद जनजागरण कार्यक्रम के बाद नालंदा, राजगीर व बोधगया होते हुए 30 जुलाई को वाराणसी लौटेगी। यात्रा में लगभग 40 यात्री भाग ले रहे हैं।
‘कैलाश दर्शन अब दूर नहीं’ – विजय शंकर त्रिपाठी
पूर्व की नीतियों को बताया बाधा, चीन की दखल पर जताई चिंता

गोष्ठी के प्रमुख वक्ता श्री विजय शंकर त्रिपाठी ने विश्वास जताया कि वह दिन अब दूर नहीं जब भारतवासी कैलाश मानसरोवर के निर्बाध दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि भारत की आध्यात्मिक आस्था से जुड़ा यह स्थल वर्षों से चीन की दखल के चलते सामान्य श्रद्धालुओं की पहुँच से बाहर है।
वहीं विशिष्ट अतिथि डा. सुमन राव ने इस स्थिति के लिए पूर्ववर्ती सरकारों की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि भारत को अब तिब्बत मुद्दे पर स्पष्ट और सख्त रुख अपनाना चाहिए।
‘तिब्बत की स्वतंत्रता ही कैलाश की स्वतंत्रता’ – डॉ. विनोद चतुर्वेदी
मुख्य अतिथि का आह्वान, भारत को वैश्विक मंच पर उठाना चाहिए आवाज
गोल्डेन इंडिया पब्लिक स्कूल के निदेशक एवं मुख्य अतिथि डॉ. विनोद चतुर्वेदी ने कहा कि जब तक तिब्बत स्वतंत्र नहीं होगा, तब तक कैलाश मानसरोवर तक निर्बाध पहुँच की बात अधूरी रहेगी। उन्होंने भारत सरकार से अपील की कि वह इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूती से उठाए।
दंडी स्वामी श्रीमन्नारायण जी का आशीर्वचन में आह्वान
‘धर्म की रक्षा ही राष्ट्र की रक्षा है’
गोष्ठी का समापन दंडी स्वामी श्रीमन्नारायण आश्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन से हुआ। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि धर्म की रक्षा ही राष्ट्र की रक्षा है, और यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक उद्देश्यों की पूर्ति है, बल्कि यह राष्ट्रीय चेतना का भी प्रतीक है।
कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन श्री हृदय प्रकाश तिवारी ने किया।
यात्रा सिर्फ एक तीर्थ नहीं, यह है आध्यात्मिक स्वतंत्रता का अभियान
कैलाश को देखना हर भारतीय का अधिकार: वक्ताओं की एक राय
गोष्ठी में उपस्थित सभी वक्ताओं ने इस बात पर एकमत सहमति जताई कि कैलाश मानसरोवर सिर्फ एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है। जब तक तिब्बत आज़ाद नहीं होगा, तब तक कैलाश के दर्शन अधूरे हैं।
विशेष जानकारी:
यात्रा अवधि: 18 जुलाई – 30 जुलाई
प्रमुख पड़ाव: आरा, पटना, सुल्तानगंज, वैद्यनाथधाम, रजरप्पा, नालंदा, बोधगया
वापसी: वाराणसी, 30 जुलाई