Siwan: तुलसी साहित्य, संस्कृति और संस्कार का संगम बना शुभवंती इंस्टीट्यूट: गोस्वामी तुलसीदास जयंती पर संगोष्ठी का भव्य आयोजन

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छात्र-छात्राओं में दिखा साहित्यिक उत्साह

संस्थान में दिखा सांस्कृतिक चेतना और साहित्यिक रुचि का अद्भुत प्रदर्शन

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बिहार डेस्क l केएमपी भारत l पटना
सिवान।
पचौरा स्थित शुभवंती इंस्टीट्यूट ऑफ़ एजुकेशन के प्रांगण में शुक्रवार को गोस्वामी तुलसीदास जयंती के अवसर पर एक प्रेरणादायक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस मौके पर सरस्वती साहित्य संगम, सिवान के प्रतिनिधियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। संगोष्ठी ने न सिर्फ साहित्यिक विमर्श को बल दिया, बल्कि विद्यार्थियों में भारतीय संस्कृति और मूल्य-बोध के प्रति गहरी रुचि भी जगाई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता शुभवंती संस्थान की अध्यक्षा डॉ. उपमा कुमारी राय ने की। उन्होंने सभी आमंत्रित अतिथियों का पुष्पगुच्छ एवं साल भेंटकर आत्मीय स्वागत किया। डॉ. राय ने अपने वक्तव्य में कहा कि “गोस्वामी तुलसीदास केवल महान कवि ही नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना के अग्रदूत और नैतिक मूल्यों के सशक्त प्रवक्ता थे।” उन्होंने विद्यार्थियों को तुलसी साहित्य से प्रेरणा लेकर जीवन के हर क्षेत्र में सदाचार, सेवा और संस्कार को अपनाने की सलाह दी।

साहित्य संगम के वक्ताओं ने खोले तुलसी साहित्य के आयाम
सरस्वती साहित्य संगम के वक्ताओं ने रामचरितमानस, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा आदि ग्रंथों के माध्यम से तुलसीदास की काव्य प्रतिभा और लोकहितकारी दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा की। वक्ताओं ने भक्ति आंदोलन में तुलसीदास की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि उनका साहित्य आज भी समाज को दिशा देने में सक्षम है।

विद्यार्थियों की प्रस्तुतियों ने समा बांधा
संगोष्ठी में प्रशिक्षु शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने भी गोस्वामी तुलसीदास के जीवन, दर्शन और काव्य पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उनकी प्रस्तुतियों में भक्ति, ज्ञान और भारतीयता की गूंज स्पष्ट सुनाई दी। विद्यार्थियों की अभिव्यक्ति में जहां साहित्यिक गहराई थी, वहीं मंच संचालन और प्रस्तुतिकरण में भी सौंदर्य था।

शिक्षकों का मिला पूरा सहयोग
कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रो. राजीव रंजन श्रीवास्तव, डॉ. वसीम खान, प्रो. संदीप कुमार श्रीवास्तव, प्रो. दिनेश कुमार यादव, प्रो. मनोज कुमार पाल, प्रो. नाहिद अशरफ़, प्रो. रोशनी और प्रो. गवीश कुमार की सक्रिय भूमिका रही। इन सभी ने आयोजन के विविध आयामों को सहजता से समेटा।

स्मृति-चिह्न व धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ समापन
कार्यक्रम का समापन अतिथियों को स्मृति-चिह्न भेंट कर और औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। आयोजन ने यह प्रमाणित किया कि शुभवंती इंस्टीट्यूट केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि साहित्य, संस्कृति और संस्कारों का सजीव संगम भी है।

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