काशी में भारतीय भाषा समागम, 15 भाषाओं के साहित्यकारों को मिला गौरव
सेंट्रल डेस्क l केएमपी भारत l वाराणसी
वाराणसी।
मातृभाषा के सम्मान का संदेश देते हुए शनिवार, 13 सितम्बर 2025 को बनारस में “भारतीय भाषा समागम-2025” का भव्य आयोजन हुआ। हिन्दुस्थान समाचार द्वारा महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के गांधी अध्ययन पीठ सभागार में हुए इस समारोह में भोजपुरी साहित्यकार, कवि और चिंतक मनोज भावुक को “भारतीय भाषा सम्मान-2025” से सम्मानित किया गया।
सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि जम्मू-कश्मीर के माननीय उपराज्यपाल मनोज सिन्हा थे। इस अवसर पर हिन्दुस्थान समाचार समूह के अध्यक्ष अरविंद भालचंद्र मार्डीकर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक अतुल भाई कोठारी ने भी भावुक को सम्मान चिह्न और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया।
इस वर्ष तमिल, तेलुगु, मलयालम, गुजराती, मराठी, पंजाबी, सिंधी, संस्कृत, ओड़िया, असमिया, नेपाली, बंगाली के साहित्यकारों के साथ भोजपुरी को भी विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
सम्मान पाकर मनोज भावुक ने कहा, “भोजपुरी अपना हक और सम्मान चाहती है। जैसे हिन्दुस्थान समाचार समूह ने इस भाषा को गौरव दिया है, वैसे ही देश की सरकार भी इसे मान्यता दे और 8वीं अनुसूची में यथा शीघ्र शामिल करे। मैं हिन्दुस्थान समाचार समूह के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।”
“पंच प्रण: स्वभाषा और विकसित भारत” विषय पर केंद्रित इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी (कुलपति, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी), प्रो. आनंद कुमार त्यागी (कुलपति, काशी विद्यापीठ, वाराणसी), प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी (कुलपति, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली) और डॉ. नीलकंठ तिवारी (पूर्व मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार) उपस्थित थे।
गौरतलब है कि इन दिनों मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम के काशी प्रवास और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेजबानी के चलते पूरा शहर भोजपुरीमय है। यहां तक कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता भी हिंदी या अंग्रेजी की जगह भोजपुरी में ब्रीफिंग दे रहे हैं, जो इस भाषा के बढ़ते महत्व को दर्शाता है।