जिलाधिकारी कुंदन कुमार सम्मान ग्रहण करने दिल्ली पहुंचे; राष्ट्रपति मुर्मु के हाथों मिलेगा 25 लाख का पुरस्कार
बिहार डेस्क l केएमपी भारत न्यूज़ l पटना
अविनाश पांडेय, बिहारशरीफ।
नालंदा जिले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि योजनाओं की ईमानदार निगरानी, विभागीय समन्वय और जनसहभागिता से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित 6वां राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2024 में नालंदा ने JSJB 1.0 (जल संचय–जन भागीदारी) कैटेगरी में देशभर में शीर्ष स्थान हासिल कर लिया है। इस उपलब्धि पर सम्मान ग्रहण करने के लिए जिलाधिकारी कुंदन कुमार नई दिल्ली के विज्ञान भवन पहुंचे, जहां 18 नवंबर 2025 को माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
12 हजार से ज्यादा जल संरक्षण संरचनाएं बनाकर नालंदा ने राष्ट्रीय लक्ष्य को पछाड़ा
JSJB 1.0 के तहत देशभर के जिलों के लिए 10 हजार जल-संरक्षण संरचनाओं का लक्ष्य तय था। इसके विपरीत नालंदा ने 12,051 संरचनाएँ पूरी कर राष्ट्रीय लक्ष्य से कहीं अधिक उपलब्धि दर्ज की। इन्हीं प्रयासों के आधार पर जिले को कैटेगरी-3 में ₹25 लाख पुरस्कार राशि और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जा रहा है।
जिले के इस प्रदर्शन के पीछे ग्रामीण व शहरी स्तर पर मजबूत जल-संरक्षण अभियान और विभागों के बीच बेहतरीन समन्वय मुख्य कारण रहा।
MGNREGA बना नालंदा की उपलब्धि की सबसे मजबूत कड़ी
MGNREGA के तहत जिले में बड़े पैमाने पर ऐसे कार्य किए गए, जिनसे जल-संरक्षण और भू-जल पुनर्भरण को स्थायी आधार मिला।
● चेक डैम
● आहर–पइन एवं तालाबों का जीर्णोद्धार
● खेत-तालाब
● रिचार्ज पिट और सोख्ता
● जल-निकासी सुधार कार्य
इन संरचनाओं ने न केवल जल संग्रहण की क्षमता बढ़ाई, बल्कि हजारों लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराया। MGNREGA के माध्यम से परंपरागत आहर–पइन प्रणाली का पुनर्जीवन नालंदा की एक बड़ी सफलता माना जा रहा है।
ग्राम पंचायतों की सक्रिय भूमिका: गांव-गांव पहुंचा जल संरक्षण संदेश
पंचायती राज विभाग ने इस अभियान में लीडरशिप की भूमिका निभाई।
● पंचायतों ने जल-संरक्षण स्थलों का चयन किया।
● ग्रामीणों को पुराने कुओं, आहर-पइन, पोखरों के जीर्णोद्धार में सक्रिय रूप से जोड़ा।
● सोख्ता निर्माण से वर्षा जल-संचयन को मजबूत किया।
ग्राम पंचायतों की निगरानी और जागरूकता कार्यक्रमों ने JSJB को गांवों में जन-आंदोलन का रूप दे दिया।
शहरी क्षेत्र में नगर निकायों की बड़ी पहल
नगर विकास एवं आवास विभाग (UDHD) ने शहरी इलाकों में—
● वर्षा जल-संचयन (RWH)
● ड्रेनेज सुधार
● तालाबों का पुनर्जीवन
● जलभराव नियंत्रण
जैसी कई योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू किया। “कैच द रेन” अभियान को JSJB के साथ जोड़कर शहरी क्षेत्रों में लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया गया।
जल-जीवन हरियाली अभियान बना रीढ़, एक प्लेटफॉर्म पर आए सभी विभाग
नालंदा की सफलता में जल-जीवन हरियाली अभियान की रणनीतिक दिशा सबसे महत्वपूर्ण रही।
● तालाब, कुएं, आहर–पइन की पहचान और सर्वेक्षण
● जल-निकायों का संरक्षण
● वृक्षारोपण और सिंचाई स्रोतों का पुनर्जीवन
● व्यापक जन-जागरूकता
अभियान ने MGNREGA, PHED, कृषि, पंचायत, नगर निकाय सहित सभी विभागों को एक मंच पर लाकर कॉमन वॉटर मैनेजमेंट फ्रेमवर्क तैयार किया।
क्यों नालंदा बना राष्ट्रीय मॉडल जिला
✔ 12,051 संरचनाएँ — लक्ष्य से अधिक
✔ MGNREGA आधारित जल-संरक्षण मॉडल
✔ पंचायत, नगर निकाय, SHG और किसान समूहों की मजबूत भागीदारी
✔ आहर–पइन प्रणाली को नया जीवन
✔ भू-जल स्तर में सुधार
✔ सिंचाई क्षमता में बढ़ोतरी






