9 महीने से वेतन नहीं मिलने पर इलाज के अभाव में गई जान
सेंट्रल डेस्क l केएमपी भारत l मुजफ्फरपुर
बेतिया | अजय शर्मा
रामलखन सिंह यादव महाविद्यालय (आरएलएसवाई कॉलेज) में सोमवार को माहौल उस समय गरम हो गया जब दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी धर्मेंद्र यादव उर्फ भोला की मौत के बाद उनका शव कॉलेज परिसर में रखकर अन्य कर्मचारियों ने धरना शुरू कर दिया। धरना पहले से ही कई दिनों से वेतन भुगतान को लेकर जारी था, लेकिन मौत की खबर ने माहौल को और उग्र बना दिया।
9 महीने से वेतन बकाया, इलाज के अभाव में गई जान
धरना दे रहे कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ. अभय कुमार की लापरवाही और उदासीन रवैये के कारण धर्मेंद्र यादव को पिछले 9 महीनों से वेतन नहीं मिला। आर्थिक तंगी के चलते वे उचित इलाज नहीं करा सके और उनकी मौत हो गई। साथी कर्मचारियों का कहना है कि यह सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है।
मौत के बाद भी नहीं पहुंचा प्रशासन
कर्मचारियों के मुताबिक, घटना की सूचना देने के बावजूद कॉलेज प्रशासन या जिला प्रशासन का कोई वरिष्ठ अधिकारी मौके पर नहीं आया। केवल 112 नंबर की पुलिस टीम थोड़ी देर के लिए पहुंची, लेकिन हालात देखकर लौट गई। इससे कर्मचारियों का आक्रोश और बढ़ गया।
प्राचार्य पर गंभीर आरोप, मौके से गायब
धरना दे रहे कर्मचारियों का कहना है कि जब वे अपनी मांगों को लेकर प्रभारी प्राचार्य से मिलने पहुंचे, तो वे कॉलेज छोड़कर चले गए। इससे कर्मचारियों के बीच यह संदेश गया कि प्रशासन उनकी समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है।
मुआवजे और बकाया वेतन की मांग
कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि जब तक मृतक कर्मचारी के परिवार को उचित मुआवजा और सभी दैनिक वेतनभोगियों का बकाया वेतन नहीं दिया जाता, तब तक धरना जारी रहेगा। साथ ही, उन्होंने मांग की है कि लापरवाह प्राचार्य के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाए।
गरीब कर्मचारियों की आवाज कब सुनी जाएगी?
यह मामला सिर्फ एक कॉलेज तक सीमित नहीं है, बल्कि सरकारी और शैक्षणिक संस्थानों में संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की बदहाली को उजागर करता है। सवाल यह है कि आखिर कब प्रशासन ऐसे कर्मचारियों की समस्याओं को गंभीरता से लेगा? क्या यह मामला भी अन्य फाइलों की तरह दबकर रह जाएगा, या फिर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी?