उत्तर–पूर्व बिहार को बड़ी सौगात
सेंट्रल डेस्क l केएमपी भारत l भागलपुर
पूर्णिया | नंद किशोर सिंह
12 वर्षों के संघर्ष, जनआंदोलन और अथक कोशिशों का सपना 15 सितंबर से साकार हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 सितंबर को पूर्णिया सिविल एयरपोर्ट का शुभारंभ करेंगे। यह केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि उस उम्मीद का प्रतीक है जिसने उत्तर–पूर्व बिहार को आसमान से जोड़ने का रास्ता दिखाया।
ऐतिहासिक सफर: ब्रिटिश दौर से आज तक
पूर्णिया का विमानन इतिहास 1933 से जुड़ा है, जब ब्रिटिश रॉयल एयरफोर्स ने यहां से माउंट एवरेस्ट का हवाई सर्वेक्षण किया। 50 और 70 के दशक में जेम एयर और कलिंग एयर ने उड़ानों की शुरुआत की, लेकिन ढांचा न होने से ये प्रयास टिक नहीं पाए।
स्पिरिट एयरवेज़ से जगी उम्मीद
2012 में एयरफोर्स स्टेशन के विंग कमांडर विश्वजीत कुमार ने “स्पिरिट एयरवेज़” के जरिए कोलकाता और पटना के लिए 10-सीटर उड़ान शुरू की। इस पहल से उद्योगपतियों की नजर पूर्णिया पर पड़ी और मरंगा क्षेत्र में जूट उद्योग जैसे प्रोजेक्ट आकार लेने लगे।
रिपोर्ट, मंजूरी और लंबा संघर्ष
डीएम डॉ. एन. सर्वना कुमार व कमिश्नर बृजेश मेहरोत्रा से परामर्श लेकर विश्वजीत ने रिपोर्ट तैयार की। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय से स्वीकृति की सिफारिश की। 2015 में पीएम मोदी ने एयरपोर्ट को बिहार पैकेज में शामिल किया, जिसके बाद भूमि अधिग्रहण और कानूनी बाधाओं के बीच निर्माण का रास्ता साफ हुआ।
“एयरपोर्ट 4 पूर्णिया” बना जनआंदोलन
2023 में बने मंच ने धरना, रैली और सोशल मीडिया अभियान चलाकर आंदोलन को जनांदोलन का रूप दिया। विजय श्रीवास्तव, अरविंद झा, डॉ. संजीव कुमार, दिलीप चौधरी जैसे सैकड़ों लोगों ने इसे नई ऊर्जा दी। आंदोलन को तारकिशोर प्रसाद और दुलाल चंद गोस्वामी जैसे नेताओं का समर्थन मिला।
नई उड़ान, नए अवसर
एयरपोर्ट से पूर्णिया, सहरसा, भागलपुर, बंगाल और नेपाल सीमावर्ती इलाकों को सीधी कनेक्टिविटी मिलेगी। सामाजिक और औद्योगिक विकास की नई राह खुलेगी। 15 सितंबर का दिन इतिहास में दर्ज होगा—जब पूर्णिया आसमान से जुड़ने का सपना साकार होते देखेगा।