बिहार डेस्क l केएमपी भारत l भागलपुर
सहरसा | विकास कुमार
सहरसा में चल रहे श्री उग्रतारा महोत्सव का आकर्षण इस बार और बढ़ गया जब बॉलीवुड की मशहूर गायिका सुमेधा कर्महे ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। मंच पर पहुंचते ही दर्शकों की तालियों से माहौल गूंज उठा। सुमेधा ने कहा कि मिथिला की संस्कृति और यहां के लोगों का अपनापन उन्हें बेहद भा गया है। https://youtu.be/FDCWkwQ7Aao?si=VwhwWTDliAA7dR8X
“मिथिला की परंपरा अद्भुत, यहां आकर गर्व महसूस हुआ”
विशेष बातचीत में सुमेधा ने बताया कि उन्होंने देश और विदेश के कई मंचों पर प्रस्तुति दी है, लेकिन सहरसा की जनता का जो उत्साह और ऊर्जा है, वह अद्वितीय है। उन्होंने कहा— “मुझे यहां की संस्कृति और संगीत से आत्मीय जुड़ाव महसूस हो रहा है। यह अवसर मेरे लिए बेहद खास है।”
बहुभाषी गायन और ऊर्जावान परफॉर्मेंस के लिए मशहूर
सुमेधा कर्महे ने हिंदी, मराठी, बंगाली, गुजराती और पंजाबी जैसी भाषाओं में गाया है। उनके गाए गीत “नज़्म नज़्म” (बरेली की बर्फी), “नमो नमो” (केदारनाथ) और “टूटा जो कभी तारा” (ए फ्लाइंग जट्ट) जैसे सुपरहिट रहे हैं। इंडी म्यूजिक की दुनिया में भी उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है।
“छत्तीसगढ़ की बार्बी डॉल”
सुमेधा को उनके ऊर्जावान स्टेज परफॉर्मेंस और आकर्षक व्यक्तित्व की वजह से “छत्तीसगढ़ की बार्बी डॉल” की उपाधि भी मिली है। वह ज़ी टीवी के सा रे गा मा पा की जूरी सदस्य भी रह चुकी हैं।
सहरसा में आयोजित इस महोत्सव में सुमेधा के सुरों ने न केवल माहौल को मधुर बनाया बल्कि स्थानीय लोगों के दिलों में भी विशेष जगह बना ली।