बिहार डेस्क, केएमपी भारत, पटना
सिवान | विधि संवाददाता। ग्राम सहलौर, थाना सराय ओपी, जिला सिवान निवासी डॉ. दिवाकर कुमार को बिजली विभाग की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ा। उन्हें 3,11,499 रुपये का गलत बिजली बिल थमा दिया गया, जिसे सुधारने के लिए उन्होंने विभाग से कई बार संपर्क किया, लेकिन हर बार निराशा हाथ लगी। अंततः उन्होंने उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया।
बिना सुनवाई के भेजा गया था मोटा बिल
शिकायतकर्ता डॉ. दिवाकर कुमार के अनुसार, जब उन्हें अत्यधिक बिल मिला तो वे बार-बार विद्युत विभाग कार्यालय गए और अधिकारियों से त्रुटि सुधारने की गुहार लगाई। बावजूद इसके, विभाग ने उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। अंततः न्याय के लिए उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोग में वाद दायर किया।
दोनों पक्षों की पेशी, आयोग ने सुनी दलीलें
मामले की सुनवाई के दौरान आयोग के अध्यक्ष माननीय जयराम प्रसाद और सदस्य माननीय मनमोहन कुमार ने दोनों पक्षों से दस्तावेज मंगवाए। शिकायतकर्ता और विपक्षी दोनों ने अपने-अपने पक्ष में गवाही दी। विस्तृत जांच और सुनवाई के बाद आयोग ने स्पष्ट रूप से पाया कि ₹3,11,499 का विद्युत बिल पूर्णतः त्रुटिपूर्ण है। विभाग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टों में आपसी विरोधाभास भी देखा गया, जिससे साबित हुआ कि विभाग बिल की वैधता प्रमाणित नहीं कर सका।
बिल त्रुटिपूर्ण, कनेक्शन बहाल करने का आदेश
आयोग ने आदेश दिया कि शिकायतकर्ता का बकाया शून्य माना जाए और उनका विद्युत कनेक्शन एक सप्ताह के भीतर पुनः बहाल किया जाए। साथ ही मानसिक पीड़ा और वाद खर्च के एवज में ₹10,000 की क्षतिपूर्ति की राशि 30 दिनों के भीतर शिकायतकर्ता को दी जाए।
नहीं मानी बात तो कार्रवाई तय
आयोग ने यह भी निर्देशित किया कि यदि तय समयसीमा में विभाग ने आदेश का पालन नहीं किया, तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 72 के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसमें कनीय अभियंता, सहायक अभियंता, कार्यपालक अभियंता और राजस्व पदाधिकारी — सभी पर ₹10,000 का हर्जाना, 6% वार्षिक ब्याज सहित वसूली की जाएगी।