गोरखपुर : लूट-भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है बड़हलगंज डिग्री कॉलेज: विधायक राजेश त्रिपाठी

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पूर्व सांसद भीष्म शंकर और पूर्व विधायक विनय शंकर पर लगाया कॉलेज की आड़ में घोटालों का आरोप
राज्यपाल को भेजे दस्तावेज, थर्ड पार्टी से जांच की उठाई मांग

के एम पी भारत। बड़हलगंज (गोरखपुर) |
चिल्लूपार से विधायक राजेश त्रिपाठी ने रविवार को बड़हलगंज चौराहे पर ‘आम के साथ खास बात’ कार्यक्रम के दौरान बड़ा राजनीतिक हमला बोला। उन्होंने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी व उनके भाई, पूर्व सांसद भीष्म शंकर तिवारी पर आरोप लगाया कि जबसे उनके परिवार ने बड़हलगंज डिग्री कॉलेज और इंटर कॉलेज की कमान संभाली है, तब से यह शिक्षण संस्थान लूट, भ्रष्टाचार और सरकारी जमीनों पर कब्जे का अड्डा बन चुका है।


छात्रवृत्ति से लेकर फीस और UGC फंड तक में भारी घोटाले

राज्यपाल ने दिए जांच के आदेश, खुलासे में करोड़ों की अनियमितता सामने आई

राजेश त्रिपाठी ने दावा किया कि उन्होंने तीन साल पहले राज्यपाल और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को शिकायत भेजी थी। इस पर 24 नवम्बर 2022 को गोरखपुर विश्वविद्यालय को जांच के आदेश दिए गए। जांच में सामने आया कि पिछले 25 वर्षों से कॉलेज में सरकारी ऑडिट तक नहीं हुआ। छात्रवृत्ति घोटाले में अब तक 8 करोड़ रुपए से अधिक की गड़बड़ी उजागर हो चुकी है।


एक ही बिल्डिंग से 14 कोर्स की मान्यता: शिक्षा विभाग और अफसरों की मिलीभगत का आरोप

भौतिक सत्यापन की मांग, गवर्नर ने दी मंजूरी

विधायक ने आरोप लगाया कि जिस भवन पर पहले लॉ कॉलेज की मान्यता ली गई, उसी भवन पर बाद में B.Ed., B.P.Ed., B.Com., M.Com., M.Sc. AG सहित 14 पाठ्यक्रमों की मान्यता ले ली गई। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश का सबसे बड़ा “विल्डिंग घोटाला” है। विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा विभाग के कई अधिकारी इसमें संलिप्त हैं।


सेना की जमीन पर खड़े निजी कॉलेज, बदल दी गई नवैयत

सरकारी संपत्ति को निजी फायदे में बदलने का आरोप

त्रिपाठी ने बताया कि लॉ कॉलेज की जमीन कभी कृषि विभाग के नाम पर ली गई थी और वह जमीन सेना के नाम की थी, जिसकी नवैयत नहीं बदली जा सकती। इसके बावजूद वहां निजी कॉलेज चल रहे हैं। यह सीधे तौर पर नियमों की अनदेखी और जमीन हड़पने का मामला है।


168 एकड़ सरकारी जमीन पर जबरन कब्जे का आरोप

10 ग्राम पंचायतों की जमीनें हथियाई गईं, किसानों से लालच और डर के बल पर कराई रजिस्ट्री

राजेश त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि 1985 से अब तक 168 एकड़ सरकारी जमीन कालेज के नाम कराई गई है। गोनघट, कोटिया दीपशाह, जैतपुर, खड़ेसरी, नरहरपुर, चिल्लूपार, बेइलिया, बाछेपार और कल्यानपुर गांव की जमीनों को कूट रचित तरीके से कालेज के नाम पर ले लिया गया।


नगर पंचायत की नजूल जमीन पर कब्जा, टेक्निकल इंस्टिट्यूट के नाम से चारदीवारी

पांच एकड़ पोखरा और भीता की जमीन पर कब्जा कर बना लिया निजी भवन

उन्होंने कहा कि डिग्री कॉलेज के हॉस्टल के पास की करीब 6.24 एकड़ सरकारी नजूल जमीन को भी निजी संस्थान के नाम कर कब्जा कर लिया गया है, जिसकी कीमत आज अरबों में है।


रिश्तेदारों को दी गई नौकरी, सरकारी आदेश की उड़ाई धज्जियां

प्रबंधक के ब्लड रिलेशन वालों को मिल रही सरकारी तनख्वाह

त्रिपाठी ने कहा कि शासनादेश के अनुसार प्रबंधक के रिश्तेदारों को एडेड कॉलेज में नौकरी नहीं दी जा सकती, लेकिन यहां आधा दर्जन से अधिक ब्लड रिलेशन लोग सालों से वेतन ले रहे हैं।


फीस और रिसर्च फंड में भारी गड़बड़ियां

कई सालों से कासन मनी और मंडी फंड में हो रहा घोटाला

यूजीसी और सीआरएस फंड से रिसर्च और बिल्डिंग निर्माण के लिए मिले करोड़ों रुपए का भी बंदरबांट हुआ है। छात्रों से राष्ट्र गौरव की फीस तीन साल में एक बार लेनी थी, लेकिन हर साल वसूली की गई। यह एक और बड़ा वित्तीय घोटाला है।


नकल और परीक्षा में हेराफेरी का भी खुलासा

ब्राह्मण परिवार की छात्रा ने की शिकायत, कॉलेज ने निकाला बाहर

विधायक ने बताया कि एक छात्रा ने परीक्षा में पैसे लेकर नकल कराने और नामित छात्रों की जगह दूसरों से परीक्षा दिलाने की शिकायत की। जब उसने विरोध किया, तो उसे जानबूझकर फेल कर कॉलेज से निकाल दिया गया। छात्रा ने कुलपति को शिकायत भी की, मगर रसूखदारों ने मामले को दबा दिया।


खेल मैदान को बना दिया व्यवसायिक कांप्लेक्स

मेला-सर्कस और दुकानों से कमाई, छात्रों के लिए कोई जगह नहीं

इंटर कॉलेज के लिए दान में दी गई खेल मैदान की जमीन पर प्रबंध तंत्र ने व्यवसायिक गतिविधियां शुरू कर दी हैं। मैदान को दुकानों और मेलों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जो स्पष्ट रूप से शासनादेश का उल्लंघन है।


दुकानों की पगड़ी और किराया निजी खाते में जमा

कोई रसीद नहीं, दुकानदार डरे सहमे

विधायक ने कहा कि दुकानों से पगड़ी और किराया लेकर नकद वसूली की जा रही है, जिसका कोई हिसाब-किताब नहीं है। यह रकम कालेज के खाते में न जाकर सीधे प्रबंधतंत्र के निजी खाते में जाती है।


सरकारी रिसीवर की मांग

“यह कालेज अब पढ़ाई का नहीं, राजनीति और शोषण का अड्डा बन चुका है”

राजेश त्रिपाठी ने शासन से मांग की है कि यदि जांच में गंभीर अनियमितताएं पाई जाती हैं, तो तत्काल प्रभाव से कॉलेज के प्रबंधतंत्र को हटाकर सरकारी रिसीवर नियुक्त किया जाए ताकि छात्रों, शिक्षकों, दुकानदारों और किसानों को न्याय मिल सके।

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