प्रशांत किशोर ने ली हार की जिम्मेदारी: कहा— व्यवस्था परिवर्तन नहीं कर सके, यह मेरी गलती; 20 को भितिहरवा आश्रम में रखेंगे मौन उपवास

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– राजनीति छोड़ने से किया इनकार, कहा— हम बिहार छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे, अब दोगुनी मेहनत करेंगे https://youtu.be/82gNB1Wg4Yo?si=thNoPwykjOk7GpN1

बिहार डेस्क l केएमपी भारत न्यूज़ l पटना

पटना से संतोष सहाय की रिपोर्ट । बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीद के अनुरूप परिणाम न आने के बाद जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर सामने आए और खुलकर हार की जिम्मेदारी ली। पाटलिपुत्र स्थित कैंप कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि जन सुराज व्यवस्था परिवर्तन का सपना लेकर निकला था, लेकिन हम इसे पूरा नहीं कर सके। “यह मेरी गलती है, मैं इसे स्वीकार करता हूं,” उन्होंने बिना किसी लाग-लपेट के कहा। पीके ने कहा कि जिन लोगों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर सके हैं, उनसे वह क्षमा मांगते हैं। प्रायश्चित के तौर पर 20 नवंबर को भीतिहरवा गांधी आश्रम में एक दिन का मौन उपवास भी करेंगे।

“वोट नहीं मिला, लेकिन वोट नहीं मिलना गुनाह नहीं”

प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की राजनीति जाति और धर्म की खांचे में बंटी रही है। “हमने मुद्दों की राजनीति की, न कि जाति की। इस बार भी जो जाति समीकरण साधकर जीते हैं, उन्हें जनता से किए वादों का हिसाब देना होगा। वोट नहीं मिलना कोई गुनाह नहीं, हमने कोई गलती नहीं की है,” उन्होंने कहा।

पीके ने साफ कहा कि चुनाव नतीजे आत्मचिंतन का मौका देते हैं। यह देखने का समय है कि रणनीति और नीति में कहां कमी रह गई। उन्होंने कहा कि जनता के भरोसे और उम्मीदों पर पूरी तरह खरा न उतर पाना उन्हें परेशान करता है, लेकिन इससे लड़ाई रुकने वाली नहीं है।

राजनीति छोड़ने के सवाल पर कहा— “अभिमन्यु को घेरा गया, लेकिन जीत पांडवों की हुई”

पत्रकारों द्वारा राजनीति छोड़ने के सवाल पर प्रशांत किशोर ने महाभारत का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा— “अभिमन्यु को घेरा गया और मार दिया गया, लेकिन अंत में जीत पांडवों की ही हुई। ऐसे ही हमें भी घेरा गया, लेकिन लड़ाई यहीं खत्म नहीं होती।” उन्होंने साफ कहा कि वे बिहार छोड़ने या राजनीति से पीछे हटने वाले नहीं हैं। “तीन साल में जितनी मेहनत की है, अब उससे दुगुनी मेहनत करेंगे,” उन्होंने दृढ़ता से कहा।

स्वरोजगार वाले पैसों पर बड़ा आरोप: “60 से 62 हजार महिलाओं को बांटा गया 10-10 हजार, अब 2 लाख कब देंगे?”

प्रशांत किशोर ने सरकार पर चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर धन वितरण का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बिहार ही नहीं, देश के इतिहास में पहली बार किसी राज्य सरकार ने करीब 40 हजार करोड़ रुपए जनता में बांटने का वादा किया।

उन्होंने कहा—

  • “हर विधानसभा में 60–62 हजार महिलाओं को 10-10 हजार रुपए दिए गए।”
  • “जीविका दीदियों, ममता-आशा कार्यकर्ताओं के जरिए 29 हजार करोड़ रुपए बांटा गया।”
  • “सरकार ने कहा कि जीतने पर 2 लाख रुपए और मिलेंगे। अब छह महीने के भीतर यह राशि देनी चाहिए।”

पीके ने चुनौती दी— “अगर सरकार ने वोट नहीं खरीदा है तो डेढ़ करोड़ महिलाओं को वादा किए अनुसार 2-2 लाख रुपए दे दे। अगर छह महीने में नहीं दिया गया तो यह साबित हो जाएगा कि पैसा योजना के नाम पर नहीं, बल्कि वोट खरीदने के लिए बांटा गया था।”

उन्होंने 9121691216 नंबर जारी करते हुए कहा कि जिन महिलाओं को छह महीनों में 2 लाख नहीं मिलेगा, वे इस नंबर पर कॉल करें। “हम आपको लेकर सरकारी कार्यालयों तक जाएंगे और आपकी लड़ाई जारी रखेंगे,” उन्होंने कहा।

प्रेस कांफ्रेंस में कई बड़े नेता रहे मौजूद

प्रेस कांफ्रेंस में जन सुराज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती, वरिष्ठ नेता प्रो. केसी सिन्हा, वकील व नेता वाईवी गिरी, विधान पार्षद अफाक आलम, प्रदेश महासचिव किशोर कुमार, सुभाष सिंह कुशवाहा, रामबली सिंह चंद्रवंशी, विनीता मिश्रा और प्रदेश मीडिया प्रभारी ओबैदुर रहमान सहित कई नेता उपस्थित थे।

प्रशांत किशोर ने अंत में कहा कि संघर्ष जारी रहेगा। “हमने बिहार के भविष्य की राजनीति की शुरुआत की है, इसे बीच में छोड़ने वाले नहीं हैं। हार सिर्फ एक पड़ाव है, मंजिल नहीं।”

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