सीवान : भोजपुरी साहित्य के पुरोधा डॉ. तैयब हुसैन पीड़ित को सिवान में दी गई श्रद्धांजलि‘

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विकल्प’ के बैनर तले बिहार पब्लिक स्कूल में आयोजित हुआ भावुक श्रद्धांजलि समारोह, साहित्य, गीतों और संस्मरणों से किया गया याद

भिखारी ठाकुर पर शोध कर भोजपुरी साहित्य को दी नई दिशा

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सीवान। प्रगतिशील हिंदी और भोजपुरी साहित्य के चर्चित रचनाकार डॉ. तैयब हुसैन ‘पीड़ित’ के निधन पर शनिवार को अखिल भारतीय जनवादी सांस्कृतिक-सामाजिक मोर्चा ‘विकल्प’ की सिवान इकाई ‘जागृति’ के बैनर तले एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन स्थानीय बिहार पब्लिक स्कूल परिसर में किया गया।इस अवसर पर बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी, कलाकार और प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित रहे, जिन्होंने डॉ. पीड़ित के साहित्यिक योगदान को याद करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

विनोद प्रसाद और डॉ. ब्रजनंदन किशोर ने की अध्यक्षता, सुनील तंग ने सुनाए संस्मरण

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कार्यक्रम की अध्यक्षता विनोद प्रसाद एवं डॉ. ब्रजनंदन किशोर ने संयुक्त रूप से की, जबकि संचालन अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि-शायर सुनील कुमार ‘तंग’ ने किया। सुनील तंग ने कार्यक्रम के दौरान डॉ. पीड़ित के साथ बिताए पलों की मार्मिक स्मृतियों को साझा किया और उनकी साहित्य यात्रा पर प्रकाश डाला।

-कलाकारों ने गीतों के माध्यम से दी श्रद्धांजलि

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दीपक कुमार के नेतृत्व में जागृति से जुड़े कलाकारों — धनंजय कुमार, प्रशांत पुष्कर, विनोद कुमार, ऋषिकेश, खुशबू, खुशी, अनिषा, सपना, सुप्रिया, नीतू आदि ने डॉ. पीड़ित द्वारा रचित गीतों की प्रस्तुति देकर उन्हें अपनी सांगीतिक श्रद्धांजलि अर्पित की। पूरे कार्यक्रम में एक भावुक और साहित्यिक वातावरण बना रहा।

-भोजपुरी लोक साहित्य में अनोखा योगदान

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में विनोद प्रसाद और ब्रजनंदन किशोर ने कहा कि डॉ. तैयब हुसैन पीड़ित ने भिखारी ठाकुर के जीवन और रचनाओं पर पहला विधिवत शोध कर भोजपुरी लोक साहित्य को नया आयाम दिया। उन्होंने गांव-गांव जाकर विकल्प के मंच से सांस्कृतिक जागरूकता फैलाने में अहम भूमिका निभाई।

मुख्य अतिथि डॉ. यतीन्द्र नाथ सिंह ने कहा – आम जन की आवाज थे डॉ. पीड़ित

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. यतीन्द्र नाथ सिंह ने कहा कि डॉ. पीड़ित का साहित्य आमजन की पीड़ा, संघर्ष और संवेदना की सच्ची अभिव्यक्ति है। वे एक ऐसे रचनाकार थे जिनकी कलम ने हमेशा हाशिए के समाज की बात की। उन्होंने समाज को अपनी रचनाओं के जरिए आईना दिखाया।

साहित्यकारों ने दी श्रद्धांजलि, बताया – भोजपुरी इतिहास का हिस्सा बन चुके हैं पीड़ित

महत्वपूर्ण वक्ताओं में अनिल कुमार श्रीवास्तव, रामइकलाब गुप्ता, मोहम्मद इजहार, नागेंद्र मौर्य, साकेत रंजन प्रवीर, परमा चौधरी और रवीन्द्रनाथ चतुर्वेदी ने कहा कि डॉ. पीड़ित सिर्फ लेखक नहीं, भोजपुरी के इतिहास में दर्ज होने वाले शख्सियत बन चुके हैं। उनकी रचनाएं आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत रहेंगी।

-धन्यवाद ज्ञापन दीपक कुमार ने किया, उपस्थित जनों ने कहा – साहित्य को अपूरणीय क्षति

कार्यक्रम के अंत में जागृति के सचिव दीपक कुमार ने सभी वक्ताओं, कलाकारों और श्रोताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि डॉ. तैयब हुसैन पीड़ित का जाना भोजपुरी और हिंदी साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।

भावुक माहौल में समापन, डॉ. पीड़ित के विचारों को आगे बढ़ाने का लिया संकल्प

कार्यक्रम का समापन भावनाओं से भरे माहौल में हुआ। उपस्थित सभी साहित्यप्रेमियों ने यह संकल्प लिया कि डॉ. पीड़ित के विचार, लेखन और सांस्कृतिक चेतना को जीवित रखने के लिए ‘विकल्प’ और ‘जागृति’ मिलकर निरंतर कार्य करती रहेगी।

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