राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर अधिकारियों ने दिए अहम संदेश
केएमपी भारत डेस्क | मुजफ्फरपुर |
राजभाषा हिंदी के उपयोग को लेकर शुक्रवार को बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा जफ्फरपुर में एक विशेष हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला नराकास (नागरिक राजभाषा कार्यान्वयन समिति) मुजफ्फरपुर के अध्यक्ष शैलेन्द्र प्रसाद एवं आंचलिक प्रबंधक की अध्यक्षता में आयोजित की गई। कार्यशाला में कुल 25 स्टाफ सदस्य उपस्थित रहे।
हिंदी के प्रयोग को लेकर बढ़े दायित्व : शैलेन्द्र प्रसाद
नराकास अध्यक्ष शैलेन्द्र प्रसाद ने कहा कि भारत सरकार की राजभाषा नीति का मूल उद्देश्य यह है कि सरकारी कार्यों में हिंदी का प्रयोग निरंतर बढ़े। उन्होंने कहा कि एक जिम्मेदार कर्मचारी होने के नाते भारतीय संविधान में उल्लिखित राजभाषा प्रावधानों का पालन हमारा नैतिक और संवैधानिक दायित्व है।
उन्होंने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से आह्वान किया कि वे स्वेच्छा से अधिक से अधिक कार्य हिंदी में करें। शैलेन्द्र प्रसाद ने कहा कि वर्तमान समय में तकनीकी और ज्ञान प्रबंधन जैसे विषयों पर विश्वभर में विशेष ध्यान दिया जा रहा है, ऐसे में जरूरी है कि तकनीकी ज्ञान को भी हिंदी में साझा किया जाए ताकि यह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे।
राजभाषा नीति का कार्यान्वयन साझा जिम्मेदारी : कुशल गुप्ता
उप आंचलिक प्रबंधक कुशल गुप्ता ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि राजभाषा नीति का सही कार्यान्वयन हम सभी की साझा जिम्मेदारी है। उन्होंने कर्मचारियों से आह्वान किया कि वे इस दिशा में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करें और कार्यालयीन कार्यों में अधिकाधिक हिंदी का प्रयोग करें।
नीतियों का प्रचार नहीं, अनुपालन जरूरी : लक्ष्मेश्वर ठाकुर
उप आंचलिक प्रबंधक (वसूली) श्री लक्ष्मेश्वर ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदी के विकास के लिए केवल नीतियों का प्रचार करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उनके पालन को व्यवहार में लाना और उसे निरंतर अपनाना अधिक आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी को व्यक्तिगत जिम्मेदारी स्वीकार करनी होगी।
दीप प्रज्वलन व राष्ट्रगान से हुई कार्यशाला की शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और राष्ट्रगान से हुई। कार्यशाला का संचालन वरिष्ठ प्रबंधक (राजभाषा) अनुप कुमार तिवारी ने किया। इस अवसर पर सुरभि (प्रबंधक, एसबीआई) और मानस कुमार (केंद्रीय विद्यालय) भी उपस्थित रहे।
हिंदी टंकण को बढ़ावा देने पर जोर
कार्यशाला में इस बात पर विशेष बल दिया गया कि कार्यालयीन कार्यों में अधिक से अधिक हिंदी टंकण (टाइपिंग) को बढ़ावा दिया जाए और राजभाषा हिंदी को व्यवहारिक रूप से अपनाया जाए। प्रतिभागियों ने इस दिशा में अपने सुझाव भी साझा किए।
राजभाषा को समर्पित एक प्रेरणादायक पहल
इस कार्यशाला के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि हिंदी न केवल हमारी राजभाषा है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत की भी पहचान है। कार्यशाला ने सभी उपस्थितों को यह प्रेरणा दी कि वे अपने दायित्वों का निर्वहन हिंदी में कर राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनें।
