पहली महिला विधायक बनने की ओर जनता की निगाहें, हर दल ने झोंकी ताकत
बिहार चुनाव डेस्क l केएमपी भारत न्यूज़ l मुजफ्फरपुर
शिवहर। संवाददाता – अजय मिलन
बिहार की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाली शिवहर विधानसभा सीट इस बार सुर्खियों में है। अबकी बार यहां का चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन का नहीं, बल्कि इतिहास रचने का भी अवसर बन गया है। क्योंकि अब तक इस सीट से कोई भी महिला विधायक विधानसभा नहीं पहुंची है। लेकिन जदयू ने इस बार परंपरा तोड़ने की पहल की है और सीतामढ़ी के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. वरुण कुमार की पत्नी डॉ. स्वेता गुप्ता को मैदान में उतारा है।
जदयू की नई रणनीति, महिला चेहरे पर दांव
जदयू ने इस चुनाव में एक सधे हुए कदम के तहत शिवहर सीट पर महिला चेहरे को उतारकर जनता के बीच नया संदेश देने की कोशिश की है। पार्टी का फोकस महिलाओं और युवाओं पर है। डॉ. स्वेता गुप्ता की सादगी, शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र में सक्रिय भूमिका ने उन्हें जनता के बीच एक सकारात्मक पहचान दिलाई है।
डॉ. स्वेता के प्रचार अभियान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जोड़ी का विकास मॉडल प्रमुख केंद्र में है। जदयू कार्यकर्ता घर-घर जाकर ‘विकास की बेटी’ के रूप में उन्हें जनता से जोड़ने में जुटे हैं।
विपक्ष भी नहीं कर रहा कोई कमी
वहीं, राजद ने भी शिवहर की इस ऐतिहासिक सीट पर पूरा जोर लगा दिया है। पार्टी ने अपने पुराने जनाधार को मजबूत करने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. रघुनाथ झा के पौत्र नवनीत झा को उम्मीदवार बनाया है।
नवनीत झा को तेजस्वी यादव के नेतृत्व और राजद की ग्रामीण इलाकों में मजबूत पकड़ का सीधा फायदा मिल रहा है। युवाओं और पारंपरिक मतदाताओं में उनके प्रति सहानुभूति भी दिख रही है।
बसपा और जन सुराज से भी बढ़ी चुनौती
इसी बीच, बसपा के दो बार के विधायक मो. सरफुद्दीन भी मैदान में हैं। स्थानीय स्तर पर उनकी मजबूत पकड़, संगठन की सक्रियता और जनता से सीधा जुड़ाव उन्हें एक बार फिर सशक्त दावेदार बना रहा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी है कि उन्हें एनडीए के कुछ असंतुष्ट कार्यकर्ताओं का अंदरूनी समर्थन प्राप्त है।
वहीं, जन सुराज से युवा उद्योगपति नीरज कुमार सिंह भी लगातार पिछले दो वर्षों से क्षेत्र में सक्रिय हैं। प्रशांत किशोर की रणनीतिक टीम के साथ उनकी जमीनी उपस्थिति ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।
शिवहर की परंपरा और महिलाओं की भूमिका
गौरतलब है कि अब तक शिवहर से केवल दो महिलाओं ने चुनाव लड़ा है — 2010 में बसपा की प्रतिमा देवी और 2015 में हम पार्टी की लवली आनंद। दोनों ही बार उन्हें हराने वाले उम्मीदवार वही रहे — बसपा के मो. सरफुद्दीन।
यही वजह है कि इस बार पूरा जिला उत्सुक है कि क्या “मैडम डॉक्टर” स्वेता गुप्ता उस परंपरा को तोड़कर शिवहर की पहली महिला विधायक बनने में सफल होंगी।
महिलाओं की भागीदारी तय करेगी जीत की दिशा
इस बार शिवहर की जनता विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों पर ज्यादा सजग दिख रही है। ग्रामीण इलाकों में महिलाएं खुलकर चर्चा कर रही हैं कि यदि महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा तो चिकित्सा और शिक्षा जैसी समस्याओं पर अधिक संवेदनशीलता आएगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि महिला मतदाता बड़ी संख्या में मतदान करने निकलीं, तो शिवहर का इतिहास बदल सकता है।






