Saharsa Event: सहरसा में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आगाज़- मैथिली साहित्य के मूर्धन्य विद्वानों ललित, राजकमल चौधरी और मायानंद मिश्र के योगदान पर विमर्श

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बिहार डेस्क l केएमपी भारत l भागलपुर

सहरसा। विकाश कुमार

साहित्य अकादेमी नई दिल्ली, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एवं ईस्ट एन वेस्ट डिग्री कॉलेज पटुआहा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ मंगलवार को ईस्ट एन वेस्ट कॉलेज समूह के बहुउद्देशीय सभागार में हुआ। दीप प्रज्वलित कर संगोष्ठी का उद्घाटन अंतरराष्ट्रीय भाषाविद् डॉ. उदय नारायण सिंह नचिकेता, कॉलेज समूह के चेयरमैन डॉ. रजनीश रंजन, सदस्य सुभाष चंद्र यादव, रमण कुमार सिंह एवं प्राचार्य डॉ. बसंत कुमार मिश्रा ने किया।

उद्घाटन सत्र में विद्वानों का संबोधन

उदय नारायण सिंह नचिकेता ने विषय प्रवर्तन करते हुए मैथिली साहित्य के तीन नक्षत्र—ललित, राजकमल चौधरी और मायानंद मिश्र—के जीवन एवं योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इन विद्वानों की रचनाएँ न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि उन्होंने मैथिली आंदोलन को भी नई दिशा दी।
चेयरमैन डॉ. रजनीश रंजन ने अध्यक्षीय संबोधन में संगोष्ठी को सार्थक पहल बताते हुए कहा कि इन साहित्यकारों के कार्यों को याद करना नई पीढ़ी को प्रेरणा देगा। बीज भाषण में सुभाष चंद्र यादव ने उनकी कालजयी रचनाओं की चर्चा की। उद्घाटन सत्र का संचालन अभय मनोज ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य डॉ. बसंत कुमार मिश्रा ने दिया।

पहले दिन ललित और राजकमल पर चर्चा

संगोष्ठी के पहले दिन द्वितीय सत्र में प्रख्यात लेखक प्रदीप बिहारी की अध्यक्षता में ललित के जीवन व कृतित्व पर विमर्श हुआ। इस दौरान आलेख कुमारी अमृता, मैथिल प्रशांत और वरिष्ठ रंगकर्मी प्रकाश झा ने अपने विचार रखे।
वहीं तृतीय सत्र में राजकमल चौधरी के जीवन व लेखन पर चर्चा हुई। अरविन्द कुमार दास की अध्यक्षता वाले इस सत्र में पुतुल प्रियम्वदा, विकास वत्सनाभ और दीपिका चन्द्रा ने राजकमल की रचनाओं पर अपने आलेख प्रस्तुत किए। इस सत्र का संचालन किसलय कृष्ण ने किया।

दो दिवसीय संगोष्ठी में बुधवार को मायानंद मिश्र के साहित्यिक योगदान पर विमर्श होगा।

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