कोसी क्षेत्र में आर्सेनिक-आयरन से बढ़ी परेशानी, महीनों से बंद नल
दूषित पानी पीने को मजबूर लोग, गंभीर बीमारियों का खतरा, सरकारी दावों और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर
डिजिटल न्यूज़ डेस्क l केएमपी भारत l भागलपुर
सहरसा से संवाददाता विकाश कुमार की रिपोर्ट |
बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी ‘हर घर नल का जल’ योजना सहरसा जिले में आज भी अधूरी नजर आ रही है। वर्ष 2015 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चयों के तहत शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य हर घर तक स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल पहुंचाना था, लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल उलट है।
कोशी सेवा सदन, सर्वोदय आश्रम से महज 200 मीटर की दूरी पर विभागीय पाइपलाइन मौजूद है, बावजूद इसके कई महीनों से लोगों को शुद्ध पानी का कनेक्शन नहीं मिल सका है। आधिकारिक पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराने के बाद कई बार कॉल और स्थल जांच हुई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
महिषी गांव की स्थिति और भी चिंताजनक है। यहां करीब 95 प्रतिशत घरों में नल से पानी नहीं आ रहा। स्थानीय निवासी प्रफुल्ल कुमार चौधरी, प्रतिभा चौधरी, प्रीति पाठक और मनोज मिश्र सहित कई लोगों का कहना है कि विभागीय लापरवाही के कारण उन्हें बाजार से पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है। लोगों का सवाल है कि सरकार की यह योजना आम जनता तक आखिर क्यों नहीं पहुंच पा रही।
समस्या को और गंभीर बना रहा है कोसी क्षेत्र का दूषित भूजल। बिहार के 18 जिले आर्सेनिक प्रभावित हैं, जिनमें कोसी कछार प्रमुख है। करीब 40 प्रतिशत आबादी इसके संपर्क में है, जिससे गॉल ब्लैडर कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
सरकार ने इस योजना पर करोड़ों रुपये खर्च किए। वर्ष 2022-23 में 1,110 करोड़ रुपये का बजट रखा गया और 2020 में 60 प्रतिशत काम पूरा होने का दावा किया गया था। लेकिन पंप संचालन से जुड़े ठेकेदारों को भुगतान नहीं मिल रहा, पंप चालकों का 3,000 रुपये मानदेय महीनों से अटका है।
ग्रामीणों का आरोप है कि अभियंताओं और ठेकेदारों की लापरवाही से योजना धरातल पर दम तोड़ रही है। लोगों ने नई सरकार और नए मंत्री से योजना को शीघ्र बहाल करने की मांग की है, ताकि हर घर तक सच में स्वच्छ जल पहुंच सके।






