बिहार डेस्क l केएमपी भारत l भागलपुर
सहरसा | विकाश कुमार l पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से बिहार राज्य जैव विविधता पर्षद द्वारा गुरुवार को सहरसा में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर गठित जैव विविधता प्रबंधन समिति के अध्यक्ष, सचिव और सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया।
विशेषज्ञों ने दी जानकारी
पटना से आए जैव विविधता विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को संरक्षण और प्रबंधन से जुड़ी योजनाओं की बारीक जानकारी दी। बताया गया कि किस तरह अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर लोगों को जैव विविधता को सुरक्षित व संरक्षित रखने के लिए जागरूक किया जाए। संयुक्त निदेशक हेमकांत राय ने कहा कि प्रशिक्षण का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर जागरूकता फैलाना और घटती प्रजातियों को बचाने की दिशा में सामूहिक प्रयास करना है।
डीएफओ ने रखे आंकड़े
सहरसा के जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी भरत चिन्नपल्ली ने बताया कि पहले गंगा नदी में 160 प्रजाति की मछलियां पाई जाती थीं, जो अब घटकर 80 रह गई हैं। इसी तरह पक्षियों की भी अनेक प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं और फिलहाल सहरसा में केवल 170 प्रजातियां दर्ज की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि पहले किसानों द्वारा विविध किस्म की फसलें बोई जाती थीं, लेकिन अब उनकी संख्या भी घटी है।
संरक्षण ही एकमात्र उपाय
डीएफओ ने कहा कि घटती प्रजातियों को बढ़ाना और मौजूदा प्रजातियों का संरक्षण करना ही इस समय सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसी को लेकर ऐसे प्रशिक्षण व कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है ताकि समाज के हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित हो सके। कार्यशाला में मौजूद प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि वे अपने क्षेत्रों में जाकर ग्रामीणों को जैव विविधता संरक्षण के प्रति जागरूक करेंगे।