वार्ड पार्षदों के बीच वर्चस्व की लड़ाई, योजनाओं पर टकराव से जनता परेशान
केएमपी भारत। बड़हरिया (सिवान)।
बड़हरिया नगर पंचायत में इन दिनों गुटबाजी चरम पर है। नगर विकास की योजनाएं जहां ठप पड़ी हैं, वहीं वार्ड पार्षदों की आपसी तनातनी और कमीशनखोरी के आरोपों ने पूरे तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। नवगठित नगर पंचायत होने के बावजूद विकास की रफ्तार सुस्त पड़ी है और पार्षद आपसी वर्चस्व की लड़ाई में उलझे हुए हैं।
मुख्य और उप मुख्य पार्षद के खिलाफ गुटबाजी तेज
हाल ही में नगर पंचायत के अधिकतर वार्ड पार्षदों ने एकजुट होकर मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद के कार्यशैली पर सवाल उठाए। इस दौरान एक बैठक में पार्षदों के बीच कहासुनी बढ़कर हाथापाई तक पहुंच गई। वार्ड पार्षद प्रतिनिधि गुड्डू कुमार सोनी पर हमले का आरोप लगा और इस संबंध में बड़हरिया थाना में कांड संख्या 316/25 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसमें मुन्ना खान को नामजद किया गया है।

13 वार्ड, 13 मिजाज — विकास की दिशा में एकराय नहीं
बड़हरिया नगर पंचायत में कुल 13 वार्ड हैं, लेकिन सभी पार्षदों में आपसी समन्वय का घोर अभाव देखा जा रहा है। कभी मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद में मतभेद होता है, तो कभी वार्ड पार्षद आपस में टकरा जाते हैं। पार्षदों का आरोप है कि योजनाओं के कार्यान्वयन में कमीशन की हिस्सेदारी को लेकर अक्सर मतभेद होता है।
सफाई पर हर माह 11 लाख खर्च, फिर भी गंदगी का आलम
वार्ड पार्षदों ने आरोप लगाया कि नगर पंचायत में सफाई व्यवस्था के नाम पर हर महीने करीब 11 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं, बावजूद इसके स्थिति संतोषजनक नहीं है। उन्होंने कार्यपालक अधिकारी पर राशि के बंदरबांट का आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारी का तानाशाही रवैया काम में पारदर्शिता नहीं रहने दे रहा।
कई वार्डों को आवास योजना से किया गया वंचित
वार्ड संख्या 1, 3 और 4 के पार्षदों ने बताया कि इन वार्डों में अब तक एक भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभार्थियों को आवास नहीं मिला है। इससे साफ जाहिर होता है कि योजनाओं के क्रियान्वयन में भेदभाव हो रहा है।
कार्यपालक पदाधिकारी ने किया आरोपों से इनकार
इस पूरे मामले पर नगर पंचायत की कार्यपालक पदाधिकारी सुश्री प्रेमशिला ने सफाई देते हुए कहा कि सभी विकास योजनाएं वार्ड सदस्यों के परामर्श और सहमति से ही चलाई जाती हैं। किसी प्रकार के मतभेद या शिकायत की स्थिति में उसे गंभीरता से लेकर त्वरित कार्रवाई की जाती है।
जनता सवाल पूछ रही, जवाब देने वाला कोई नहीं
नगर पंचायत के आम लोग इस स्थिति से बेहद परेशान हैं। उनका कहना है कि नेताओं की आपसी लड़ाई की कीमत उन्हें बुनियादी सुविधाओं की कमी के रूप में चुकानी पड़ रही है। गली-मोहल्लों में जलजमाव, कूड़े का ढेर और अधूरी पड़ी सड़कों की मरम्मत जैसी समस्याएं बदस्तूर बनी हुई हैं।
स्थानीय लोगों का साफ तौर से कहना है कि
बड़हरिया नगर पंचायत में पार्षदों की गुटबाजी और प्रशासनिक तालमेल की कमी ने विकास को पंगु बना दिया है। ऐसे में जिला प्रशासन इस मामले में हस्तक्षेप कर जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए, ताकि नवगठित नगर पंचायत अपने उद्देश्य की ओर अग्रसर हो सके।