उपभोक्ता आयोग के सामने झुकी बीमा कंपनी
बिहार डेस्क, केएमपी भारत, पटना
सिवान | विधि सवाददाता । गोपलगंज जिले के विशंभरपुर थाना क्षेत्र के मटिहानी गांव निवासी फरेंद्र कुमार को उपभोक्ता आयोग से पांच वर्षों बाद बड़ी राहत मिली है। चोरी हुई मोटरसाइकिल का बीमा क्लेम न मिलने से परेशान फरेंद्र ने जब उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया तो आयोग ने बीमा कंपनी को न केवल बीमा राशि देने का आदेश दिया, बल्कि मानसिक, शारीरिक और आर्थिक क्षति के लिए अतिरिक्त मुआवजा भी दिलाया।
मोटरसाइकिल की चोरी के बाद शुरू हुआ संघर्ष
फरेंद्र कुमार ने हीरो पैशन बाइक खरीदी थी, जिसका बीमा आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस से कराया गया था। 11 जुलाई 2020 को उनकी बाइक नई बस्ती, महादेवा से चोरी हो गई। फरेंद्र ने मामले की एफआईआर महादेवा ओपी में दर्ज कराई। पुलिस जांच में चोरी की पुष्टि भी हुई। बाइक चोरी के समय बीमा वैध था और बीमा कंपनी को समय पर सूचना दी गई, साथ ही सारे जरूरी दस्तावेज भी सौंपे गए।
बीमा कंपनी की चुप्पी से और बढ़ा दर्द
चोरी के स्पष्ट प्रमाण और दस्तावेज सौंपने के बावजूद बीमा कंपनी ने फरेंद्र कुमार के दावे पर कोई निर्णय नहीं लिया। इस लापरवाही से फरेंद्र को मानसिक, आर्थिक और शारीरिक पीड़ा का सामना करना पड़ा। जब कोई रास्ता नहीं बचा, तो उन्होंने उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, सिवान में मामला दायर किया।
आयोग ने सुनाया बड़ा फैसला
अध्यक्ष जयराम प्रसाद एवं सदस्य माननीय मनमोहन कुमार की पीठ ने मामले की गहराई से सुनवाई की। फरेंद्र द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों को ठोस मानते हुए आयोग ने बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वे फरेंद्र को ₹5,000 मानसिक और शारीरिक कष्ट के लिए तथा ₹2,000 मुकदमा खर्च के रूप में दें। साथ ही, बीमा राशि ₹39,861 भी लौटाई जाए।
आदेश का पालन, आयोग ने खुद सौंपा चेक
बीमा कंपनी ने आयोग के आदेश का अक्षरशः पालन करते हुए ₹46,861 का चेक उपभोक्ता आयोग, सिवान में जमा किया। आयोग अध्यक्ष और सदस्य ने स्वयं फरेंद्र कुमार को यह चेक सौंपा।
उपभोक्ता के लिए सीख: अधिकार जानें, न्याय पाएं
यह मामला उन सभी उपभोक्ताओं के लिए मिसाल है, जिन्हें बीमा कंपनियों की उदासीनता और उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है। आयोग ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि यदि आपके पास साक्ष्य और धैर्य हो, तो न्याय जरूर मिलता है।