सीवान : रघुनाथपुर में दहेज के लिए गर्भवती बहू की हत्या, 10 दिन बाद भी सभी आरोपी फरार

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पीड़िता के परिजनों का आरोप: ₹2 लाख और बुलेट की मांग पूरी नहीं होने पर की गई हत्या
स्थानीय लोगों में आक्रोश, पुलिस पर लापरवाही का आरोप

रघुनाथपुर (सिवान)/केएमपी भारत।
सिवान जिले के रघुनाथपुर थाना क्षेत्र के गोंहरिया गांव में दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर एक गर्भवती महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। घटना को हुए पूरे 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक एक भी नामजद आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। पुलिस की निष्क्रियता को लेकर मृतका के मायके पक्ष और ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है।

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क्या है पूरा मामला?

मृतका की पहचान गोंहरिया गांव निवासी दीपक सिंह की पत्नी पिंकी कुमारी सिंह (उम्र लगभग 26 वर्ष) के रूप में हुई है, जो सारण जिले के एकमा थाना क्षेत्र के गंधापर गांव निवासी तारकेश्वर सिंह की पुत्री थीं। पिंकी की शादी वर्ष 2019 में बड़ी धूमधाम से हुई थी, लेकिन शादी के बाद से ही ससुराल पक्ष द्वारा दहेज को लेकर दबाव बनाया जा रहा था।

दहेज की मांग और प्रताड़ना

मृतका के फुफेरे भाई सुनील कुमार सिंह, जो सारण जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र अंतर्गत बिशनपुरा गांव के निवासी हैं, ने रघुनाथपुर थाना में दिए गए आवेदन में बताया कि दीपक सिंह और उसके परिवार वाले ₹2 लाख नगद और एक बुलेट मोटरसाइकिल की मांग कर रहे थे। जब परिवार ने यह मांग पूरी नहीं की, तो पिंकी को लगातार शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाने लगा।

मृतका गर्भवती थी, संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत

18 जून 2025 को पिंकी कुमारी की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि वह गर्भवती थी और उसकी मौत रहस्यमय परिस्थितियों में हुई। मृतका के परिजनों को शक है कि उसकी हत्या की गई है और इसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई है।

नामजद आरोपी कौन-कौन हैं?

रघुनाथपुर थाना में कांड संख्या 164/25 के तहत जो प्राथमिकी दर्ज हुई है, उसमें मृतका के पति दीपक सिंह, ससुर ब्रह्मा सिंह, भसुर चंद्रमा सिंह, देवर प्रिंस सिंह, सास और ननद को नामजद आरोपी बनाया गया है। सभी पर पिंकी को दहेज के लिए प्रताड़ित करने और हत्या करने का गंभीर आरोप है।

पुलिस की कार्रवाई पर उठे सवाल

थाना प्रभारी विजय कुमार चौधरी ने बताया कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है और आरोपी फरार हैं। उनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है। हालांकि, अब तक किसी की भी गिरफ्तारी न होने पर मायके पक्ष और आम जनता पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा रही है।

परिजनों की पीड़ा और इंसाफ की मांग

पिंकी के भाई और अन्य परिजनों का कहना है कि “अगर समय रहते पुलिस ने कार्रवाई की होती, तो आरोपी अब तक जेल में होते। हम बहन के लिए इंसाफ चाहते हैं। दहेज के लिए एक गर्भवती महिला की जान ले लेना बर्बरता की हद है।”

स्थानीय ग्रामीणों में नाराजगी

गांव के लोगों का कहना है कि यदि पुलिस गंभीरता से कार्रवाई करती, तो आरोपी अब तक गिरफ्तार हो चुके होते। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि कुछ आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिसके कारण कार्रवाई टल रही है।
स्थानीय लोगों की मान्य तो यह घटना न सिर्फ सामाजिक व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह है, बल्कि कानून व्यवस्था की ढिलाई भी उजागर करती है। सरकार और प्रशासन को ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि पीड़ित परिवार को समय पर न्याय मिल सके और समाज में कड़ा संदेश जाए।

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