मुख्य जांच आयुक्त को सौंपी गई जांच,वर्ष 2017-18 में नगर परिषद सीवान में सड़क चौड़ीकरण और भूमि क्रय में भारी अनियमितता का है मामला
घोटाले मामले में पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी राजकिशोर लाल पर अनुशासनिक कार्यवाही के लिए नियुक्त किए गए मुख्य जांच आयुक्त
कृष्ण मुरारी पांडेय। सीवान
नगर परिषद सीवान में करोड़ों रुपये के खर्च में वित्तीय अनियमितता के आरोपों ने एक बार फिर नगर निकायों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वर्ष 2017-18 में स्वीकृत सड़क चौड़ीकरण और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना के अंतर्गत करीब 5 करोड़ रुपये से अधिक की गड़बड़ी सामने आई है। इस गंभीर मामले में तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी राजकिशोर लाल पर सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
सड़क चौड़ीकरण और भूमि खरीद में भारी घोटाले के आरोप
प्राप्त जानकारी के अनुसार, राजकिशोर लाल के कार्यकाल के दौरान सीवान-छपरा रोड पर अस्पताल मोड़ से तरवारा मोड़ तक सड़क की चौड़ाई बढ़ाने हेतु 49.91 लाख रुपये की परियोजना स्वीकृत हुई थी। साथ ही, कूड़ा निस्तारण/ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना के लिए भूमि खरीद में 4 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की गई। इन दोनों कार्यों में गंभीर वित्तीय अनियमितता के आरोप सामने आए हैं।
पूर्व राज्य मंत्री विक्रम कुंवर की शिकायत बनी जांच की नींव
पूर्व राज्य मंत्री विक्रम कुंवर सहित कई स्थानीय जनप्रतिनिधियों और नागरिकों ने जिला पदाधिकारी, सीवान को एक विस्तृत परिवाद पत्र सौंपा था। यह शिकायत बाद में नगर विकास एवं आवास विभाग के संज्ञान में लाई गई। विभाग ने 4 अगस्त 2022 को साक्ष्य सहित आरोप पत्र सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा।
राजकिशोर लाल का जवाब नहीं मिला संतोषजनक, विभाग ने किया ‘अस्वीकार्य’
राजकिशोर लाल से विभाग द्वारा जवाब मांगा गया, लेकिन उनके द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण असंतोषजनक पाया गया। विभाग ने इसे “अस्वीकार्य” मानते हुए 15 अप्रैल 2025 को उनसे लिखित बचाव बयान की मांग की, जो नियत समय पर सौंपा गया।
अनुशासनिक प्राधिकार की सख्ती, जांच की प्रक्रिया शुरू
समीक्षा के बाद अनुशासनिक प्राधिकार ने यह स्पष्ट रूप से माना कि यह मामला साधारण प्रशासनिक त्रुटि का नहीं, बल्कि गंभीर वित्तीय अनियमितता का है। अतः बिहार सरकारी सेवक नियमावली 2005 के नियम-17(2) के तहत राजकिशोर लाल के खिलाफ विस्तृत अनुशासनिक जांच शुरू करने का निर्णय लिया गया है। बताते हैं कि इस हेतु मुख्य जांच आयुक्त, बिहार, पटना को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है।
भ्रष्टाचार पर सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति
बिहार सरकार ने अपने रुख को स्पष्ट करते हुए कहा है कि भ्रष्टाचार और वित्तीय गड़बड़ी के मामलों में अब किसी को भी रियायत नहीं दी जाएगी। राजकिशोर लाल के खिलाफ की गई कार्रवाई इसी नीति के अंतर्गत मानी जा रही है। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि मुख्य जांच आयुक्त की रिपोर्ट में क्या तथ्य उजागर होते हैं और आगे क्या सख्त कदम उठाए जाते हैं।
क्या कहते हैं जानकार?
स्थानीय प्रशासनिक मामलों के जानकारों का कहना है कि यह कार्रवाई एक नजीर बन सकती है, जो अन्य निकाय अधिकारियों को भी सतर्क करने का काम करेगी। यदि दोष सिद्ध होता है, तो यह कार्रवाई राज्य सेवा से बर्खास्तगी तक पहुंच सकती है।
जनता में आक्रोश, पारदर्शिता की मांग
घटना सामने आने के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश है। नागरिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मामले की तेजी से जांच करने और रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की है। उनका कहना है कि जनता के पैसों का दुरुपयोग किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।फिलहाल, सबकी निगाहें इस उच्चस्तरीय जांच पर टिकी हैं, जो न केवल राजकिशोर लाल के भविष्य का निर्धारण करेगी, बल्कि सीवान नगर परिषद की साख और कार्यशैली पर भी असर डालेगी।