भोजपुरी सिनेमा के इतिहास और भविष्य पर आधारित अभूतपूर्व शोध पुस्तक
बिहार न्यूज़ डेस्क l पटना
केएमपी भारत न्यूज़ । आरा।
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा के भोजपुरी विभाग में सोमवार को सुप्रसिद्ध साहित्यकार और शोधकर्ता मनोज भावुक की किताब ‘भोजपुरी सिनेमा के संसार’ का लोकार्पण हुआ। दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह ‘नाथ’ सभागार में आयोजित कार्यक्रम में विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. रविंद्र नाथ राय, प्रो. अयोध्या प्रसाद उपाध्याय, प्रो. डॉ. नीरज सिंह, वर्तमान विभागाध्यक्ष प्रो. दिवाकर पांडेय और वरिष्ठ आलोचक जितेंद्र कुमार ने संयुक्त रूप से पुस्तक का विमोचन किया।
छात्रों के लिए शोध का आधारग्रंथ बनेगी यह पुस्तक
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई। स्वागत भाषण में प्रो. दिवाकर पांडेय ने कहा कि यह किताब भोजपुरी सिनेमा के इतिहास लेखन की अभूतपूर्व कृति है और शोधार्थियों के लिए आधारग्रंथ साबित होगी। प्रो. रविंद्र नाथ राय ने इसे मनोज भावुक की साधना का सार बताया, जबकि प्रो. नीरज सिंह ने कहा कि इस पुस्तक में भोजपुरी फिल्म के गौरवशाली अतीत की झलक मिलती है।
दो दिन पहले मिला ‘चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह सम्मान’
वरिष्ठ आलोचक जितेंद्र कुमार ने बताया कि इस पुस्तक पर 12 अक्टूबर को अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन की ओर से ‘चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह सम्मान’ देने की घोषणा हुई है। उन्होंने कहा कि भावुक जैसे बहुआयामी रचनाकार से छात्रों को प्रेरणा लेनी चाहिए।
भावुक बोले—“भोजपुरी ग्लोबल भाषा है”
लेखकीय वक्तव्य में मनोज भावुक ने कहा कि भोजपुरी एक ग्लोबल भाषा है और यूनेस्को में छठ पर्व को शामिल कराने की कोशिश चल रही है। उन्होंने छात्रों को भोजपुरी में लेखन के लिए प्रोत्साहित किया और अपनी स्वरचित गजलें व गीत सुनाकर सभागार को भावविभोर कर दिया।
1931 से आज तक का सिने-सफर समेटती है किताब
मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक वर्ष 1931 से अब तक के भोजपुरी सिनेमा के सफर का विस्तृत दस्तावेज है। इसमें अमिताभ बच्चन, रवि किशन, मनोज तिवारी जैसे कलाकारों के साक्षात्कार और भोजपुरी सिनेमा के इतिहास, चुनौतियों, व्यवसाय और ओटीटी भविष्य का विश्लेषण शामिल है।
सिनेमा और साहित्य की कड़ी हैं मनोज भावुक
इंजीनियर से फिल्मकार और लेखक बने मनोज भावुक ‘सारेगामा’ के प्रोजेक्ट हेड रह चुके हैं। इन्हें फिल्मफेयर, फेमिना, गुलजार, गिरिजा देवी और मॉरिशस के राष्ट्रपति तक सम्मानित कर चुके हैं। ‘भोजपुरी जंक्शन’ पत्रिका के संपादक के रूप में भी वे भोजपुरी जगत में विशिष्ट पहचान रखते हैं।