2003 की मतदाता सूची ECI वेबसाइट पर अपलोड
बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण में आएगी तेजी, 2003 की वोटर लिस्ट से होगा पहचान सत्यापन
बच्चों को माता-पिता से जुड़े दस्तावेज देने की जरूरत नहीं, केवल गणना प्रपत्र ही काफी
केएमपी भारत। नई दिल्ली।
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने बिहार के 4.96 करोड़ मतदाताओं के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है। आयोग ने वर्ष 2003 की मतदाता सूची को अपनी आधिकारिक वेबसाइट https://voters.eci.gov.in पर अपलोड कर दिया है। इससे राज्य में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision – SIR) को गति मिलेगी।
2003 की लिस्ट से होगी पहचान की पुष्टि
निर्वाचन आयोग ने साफ किया है कि जिन मतदाताओं का नाम 2003 की सूची में है, उन्हें कोई अतिरिक्त दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है। ये मतदाता सिर्फ अपना नाम सूची में ढूंढकर गणना फॉर्म भरकर जमा करें, यही पर्याप्त होगा।
बच्चों को माता-पिता के दस्तावेज की जरूरत नहीं
यह व्यवस्था खासकर उन मतदाताओं के लिए फायदेमंद है जो अपने माता या पिता के नाम पर ही अपनी पहचान प्रस्तुत करते हैं। यदि उनके माता या पिता का नाम 2003 की मतदाता सूची में मौजूद है, तो अलग से कोई दस्तावेज देना अनिवार्य नहीं होगा।
सभी बीएलओ को मिली हार्ड कॉपी, वेबसाइट पर भी उपलब्ध
24 जून, 2025 को जारी ईसीआई के निर्देशों के तहत, सभी बीएलओ (BLO) को 2003 की मतदाता सूची की हार्ड कॉपी दी गई है। इसके अलावा इसे वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया है ताकि कोई भी इसे डाउनलोड कर सके और दस्तावेज के रूप में उपयोग कर सके।
60% मतदाताओं को नहीं देनी होगी कोई फाइल
इस पहल से लगभग 60 प्रतिशत पुराने मतदाताओं को किसी प्रकार के दस्तावेजी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होगी। इससे बीएलओ और मतदाता दोनों का कार्य सरल होगा।
वोटर लिस्ट हर साल क्यों होती है अपडेट?
ईसीआई ने दोहराया है कि प्रत्येक चुनाव से पहले मतदाता सूची का संशोधन आवश्यक होता है। यह अभ्यास जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 21(2)(ए) और मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के नियम 25 के तहत किया जाता है। मृत्यु, प्रवास, विवाह और 18 वर्ष की उम्र पूरी करने वाले नए मतदाताओं को जोड़ने जैसे कारणों से मतदाता सूची में नियमित बदलाव होता रहता है।
मतदाता बनने के लिए क्या है शर्तें?
भारत का कोई भी नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है और जो किसी क्षेत्र का सामान्य निवासी है, उसे मतदाता सूची में पंजीकृत होने का अधिकार है। यह प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 में दिया गया है।