कॉलेज की वित्तीय व्यवस्था अब दो अनुभवी प्राध्यापकों के हाथों में, शिक्षकों में खुशी की लहर
स्टेट डेस्क, केएमपी भारत, पटना

डीएवी पीजी कॉलेज, सीवान में शनिवार को एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक बदलाव हुआ। जयप्रकाश विश्वविद्यालय के आदेशानुसार कॉलेज को दो नए बर्सर मिले हैं। डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह को बर्सर (व्यय) और पंकज कुमार को बर्सर (आय) के रूप में नियुक्त किया गया है। दोनों ने औपचारिक रूप से अपने-अपने पदों का कार्यभार संभाल लिया।
यह नियुक्ति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. परमेंद्र कुमार वाजपेई के निर्देश पर की गई है, जिसकी अधिसूचना रजिस्ट्रार प्रो. नारायण दास ने जारी की। यह बदलाव कॉलेज के वित्तीय और प्रशासनिक व्यवस्था को नई दिशा देने की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है।

बर्सर की भूमिका अहम, जिम्मेदारी बड़ी
कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में बर्सर का पद वित्तीय मामलों की रीढ़ होता है। संस्थान का बजट, खर्च, अनुदान, वित्तीय योजना, लेखा प्रणाली आदि की देखरेख बर्सर के जिम्मे होती है। यह न सिर्फ वित्तीय नीतियों और मानकों का पालन सुनिश्चित करता है, बल्कि संस्था की समग्र वित्तीय स्थिति पर नजर रखता है।
कॉलेज में दो अलग-अलग बर्सर की नियुक्ति से अब आय और व्यय के प्रबंधन में पारदर्शिता और दक्षता आने की उम्मीद जताई जा रही है।
कॉलेज प्रबंधन और शिक्षकों ने जताई खुशी
डीएवी पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. रामानंद राम ने दोनों बर्सर को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनके कार्यभार संभालने से कॉलेज के विकास कार्यों को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि आधारभूत संरचना के विस्तार के लिए अब वित्तीय निर्णय तेजी से लिए जा सकेंगे।
शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. धनंजय यादव ने कहा कि कॉलेज परिवार को दोनों प्राध्यापकों से काफी उम्मीदें हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि दोनों नए बर्सर शिक्षकों की आर्थिक समस्याओं के समाधान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
बधाई देने वालों का लगा तांता
डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह और पंकज कुमार को नये दायित्व मिलने पर पूरे कॉलेज परिसर में खुशी की लहर है।
बधाई देने वालों में प्रमुख रूप से शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. धनंजय यादव, सचिव पवन कुमार यादव, प्रो. अली इमाम, प्रो. शमशाद अहमद खान, प्रो. तनवीर अख्तर नूर, प्रो. रेयाज हसन, प्रो. जयकिशोर साहनी, डॉ. रवि कुमार, डॉ. नवेद अंजुम, डॉ. नसीम अंसारी आदि का नाम शामिल है।
कॉलेज के विकास की नई उम्मीद
कॉलेज परिवार को विश्वास है कि वित्तीय प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालने वाले ये दोनों युवा प्राध्यापक संस्था को विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे। उनके कुशल प्रबंधन से न केवल बजटीय प्रक्रिया में गति आएगी, बल्कि संसाधनों के बेहतर उपयोग से छात्रों को भी लाभ मिलेगा।