मुंगेर पुलिस गंगा में तलाश रही थी शव, मगर उमेश होटल के कमरे में मिला फंदे से लटका; आत्महत्या या साजिश – जांच में जुटी पुलिस
सेंट्रल डेस्क l केएमपी भारत न्यूज़ l भागलपुर/पटना
संतोष सहाय की रिपोर्ट/मुंगेर। करोड़ों रुपये की ठगी कर मुंगेर से फरार हुआ कुख्यात कमेटी संचालक उमेश कुमार सिंह आखिरकार मृत मिला। पटना के डाकबंगला चौराहा स्थित मगध होटल के कमरे नंबर-4 में गुरुवार की शाम उसका शव पंखे से लटका हुआ बरामद किया गया। पुलिस ने मौके से एक सुसाइड नोट बरामद किया है, जिसमें उसने कई लोगों से लिये गए पैसों का जिक्र किया है। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है, क्योंकि आत्महत्या की कहानी पर कई सवाल उठ रहे हैं।
17 अक्टूबर से था लापता, गंगा किनारे मिला था स्कूटी और कपड़ा
उमेश कुमार सिंह, कासिम बाजार थाना क्षेत्र के बिंदवारा गांव का निवासी था। 17 अक्टूबर की सुबह वह स्कूटी लेकर घर से गंगा स्नान के लिए निकला था, लेकिन लौटकर नहीं आया। कुछ घंटे बाद उसकी स्कूटी, कपड़ा और चप्पल दुमंठा घाट पर मिले, जिससे पुलिस और परिवार ने आत्महत्या का अंदेशा जताया। इसके बाद गोताखोरों की टीम कई दिनों तक गंगा में उसकी तलाश करती रही, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।
होटल में 17 अक्टूबर से ठहरा था उमेश
इसी बीच बुधवार की शाम पटना के कोतवाली थाना क्षेत्र में स्थित मगध होटल से एक शव मिलने की सूचना मिली। होटल रजिस्टर की जांच में खुलासा हुआ कि उमेश 17 अक्टूबर से उसी दिन से होटल में ठहरा हुआ था, जिस दिन वह मुंगेर से गायब हुआ था। उसने 1100 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से पांच दिन का किराया अग्रिम जमा किया था। बुधवार को जब उसका कमरा नहीं खुला, तो होटल स्टाफ ने पुलिस को बुलाया। दरवाजा तोड़ने पर उमेश का शव गमछे से बने फंदे में झूलता मिला।
पत्नी के नाम सुसाइड नोट, करोड़ों के कर्ज का जिक्र
कमरे से मिले सुसाइड नोट में उमेश ने अपनी पत्नी के नाम भावुक बातें लिखी हैं। उसने लिखा है कि उसने कई लोगों से करोड़ों रुपये उधार लिये थे और अब लौटाने में असमर्थ है। सुसाइड नोट के साथ कई दस्तावेज और नोटबुक भी मिली हैं, जिनमें पैसों के लेन-देन का ब्योरा दर्ज है। शव को पोस्टमार्टम के लिए पीएमसीएच भेजा गया है।
100 करोड़ की ठगी से हिल गया था मुंगेर
उमेश सिंह पिछले 20 वर्षों से “कमेटी” चलाने का धंधा कर रहा था। वह लोगों से लाखों रुपये लेकर हर महीने 2% ब्याज देता था। इस योजना में मुंगेर और आसपास के सैकड़ों लोगों ने 100 करोड़ से अधिक निवेश किया था। शुरू में ब्याज मिलता रहा, लेकिन पिछले तीन महीनों से भुगतान बंद हो गया था। अचानक उसके गायब होने के बाद लोगों को एहसास हुआ कि वह रकम लेकर फरार हो गया है।
उमेश पर कई स्थानीय व्यापारियों और जमींदारों ने रुपये ठगने का आरोप लगाया था। बिंदवारा और नोलक्खा गांव के कुछ लोग भी उसके साझीदार (पार्टनर) बताए जा रहे हैं, जिनकी भूमिका अब जांच के घेरे में है।
आत्महत्या या हत्या की साजिश?
पुलिस सूत्रों के अनुसार, उमेश पिछले कुछ दिनों से मानसिक दबाव में था। हालांकि, उसके होटल तक पहुंचने, वहां छह दिन तक रहने और अचानक फांसी लगाने को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। होटल में उसे किसने सूचना दी कि लोग उसके खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं? और उसे होटल में रहने की खबर बाहर कैसे नहीं आई?
डीएसपी कृष्ण मुरारी प्रसाद ने बताया कि “प्रारंभिक जांच में यह आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है, लेकिन उसके पार्टनर और पैसों के लेनदेन से जुड़े लोगों की भूमिका की जांच की जा रही है।”
ठगी के शिकार लोग सदमे में
उमेश की मौत की खबर फैलते ही मुंगेर में हड़कंप मच गया। जिन लोगों ने अपनी जिंदगी की पूंजी उसके हवाले की थी, वे अब पूरी तरह टूट चुके हैं। किसी ने 25 लाख तो किसी ने 2.5 करोड़ रुपये तक लगाए थे। लोगों का कहना है कि “अब हमारे पैसे डूब गए, क्योंकि असली राज तो उसी के साथ चला गया।”
अब जांच का बड़ा सवाल यह है कि — क्या उमेश ने सच में आत्महत्या की, या फिर करोड़ों की ठगी के राज छिपाने के लिए यह किसी साजिश का हिस्सा था?
पुलिस अब होटल के सीसीटीवी, कॉल डिटेल और उसके सहयोगियों से पूछताछ कर रही है।









