राजयोगिनी रानी दीदी ने कराई ‘स्वरक्षक से विश्वरक्षक’ बनने की प्रतिज्ञा, सैकड़ों ने लिया संकल्प
बिहार डेस्क l केएमपी भारत l भागलपुर
सहरसा। विकास कुमार
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के शांति अनुभूति भवन, बनगांव रोड, सहरसा में रविवार को अलौकिक रक्षाबंधन महोत्सव का आयोजन भव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण रहा। इस विशेष अवसर पर मुजफ्फरपुर से पधारीं बिहार ब्रह्माकुमारीज़ सेंटर्स की संचालिका राजयोगिनी रानी दीदी ने मुख्य वक्ता के रूप में कार्यक्रम को संबोधित किया।
रक्षाबंधन है पवित्रता और आत्मरक्षा का पर्व : रानी दीदी
दीदी ने कहा कि रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के रिश्ते का पर्व नहीं, बल्कि यह आत्मा की पवित्रता, जागरूकता और दैवी गुणों की रक्षा का आध्यात्मिक उत्सव है। उन्होंने बताया कि परमपिता शिव परमात्मा इस कलियुगी पतित संसार में अवतरित होकर प्रजापिता ब्रह्मा के माध्यम से मानव आत्माओं को “पवित्र बनो, राजयोगी बनो” का संदेश देते हैं। रानी दीदी ने समाज की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विषय-विकारों के बढ़ते प्रभाव के कारण नारी अस्मिता खतरे में है, और ऐसे समय में परमात्मा की छत्रछाया ही सबसे बड़ा रक्षा कवच है।
आओ, मिलकर बनें समाज और विश्व के रक्षक
उन्होंने सभी उपस्थितों से “स्वरक्षक से विश्वरक्षक” बनने की प्रतिज्ञा कराई, जिसमें पूरे जिले से आए लगभग 300 भाई-बहनों ने भाग लिया। दीदी ने सभी को तिलक लगाकर राखी बांधी, मुख मीठा कराया और प्रसाद स्वरूप भोग वितरित किया।
रक्षाबंधन का आध्यात्मिक अर्थ : बीके स्नेहा
स्थानीय सेवाकेंद्र प्रभारी बीके स्नेहा बहन ने रानी दीदी का स्वागत करते हुए कहा कि हर वर्ष रक्षाबंधन पर दीदी का आगमन सहरसा वासियों के लिए वरदान समान होता है। उन्होंने राखी का आध्यात्मिक अर्थ बताते हुए कहा—
R: Responsibility (जिम्मेदारी),
A: Awareness (जागरूकता),
K: Kindness (दयालुता),
H: Humility (विनम्रता),
I: Introvertness (अंतर्मुखता)।
उन्होंने सभी के जीवन में सुख, शांति और सुरक्षा की शुभकामनाएं दीं।
भावविभोर कर गया नन्हीं बच्चियों का स्वागत नृत्य
बच्चियों आद्या और चैतन्या द्वारा प्रस्तुत स्वागत नृत्य ने सभी उपस्थितों को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम में बेतिया सेवाकेंद्र प्रभारी अंजना दीदी सहित कई विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति रही, जिनमें एनसीसी कमांडिंग ऑफिसर कर्नल रवि, डॉ. सीएम चौधरी, अजीत डोकानिया, जयप्रकाश यादव, महादेव भीमसरिया, ओम प्रकाश चौधरी, अवधेश भाई और अरविंद भाई प्रमुख थे।
संपूर्ण कार्यक्रम दिव्यता, आत्मशक्ति और सेवा के भाव से ओतप्रोत रहा।