काशी से पधारे सप्तपंडितों की टीम ने की दिव्य आरती, शंखनाद, दीप प्रज्वलन और वैदिक मंत्रोच्चारण से गूंज उठा माहौल
कृष्ण मुरारी पांडेय । सीवान
गुठनी थाना क्षेत्र के करेजी गांव में चल रहे नौ दिवसीय श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ के समापन की पूर्व संध्या पर शनिवार की रात पहली बार भव्य और दिव्य गंगा आरती का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक आरती में श्रद्धा और भक्ति का ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसे श्रद्धालु देर तक याद रखेंगे।आरती का नेतृत्व यज्ञाचार्य पंडित दिनेश पांडे ने किया, जबकि काशी से पधारे सप्तपंडितों की विशेष टीम ने आरती को वैदिक विधियों से संपन्न कराया। पंचमंच पर सजे आरती स्थल को देवमूर्तियों से अलंकृत किया गया था। मां गंगा की आरती की शुरुआत श्रीहरि की आराधना और भजनों से की गई, जिसमें “गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो” जैसे भजन गूंजते रहे।
शंखध्वनि और दीप प्रज्वलन से गूंज उठा माहौल
गंगा आरती के दौरान शंखध्वनि, मयूर पंख से पूजन, धूप-दीप प्रज्वलन, कपूर आरती और वैदिक मंत्रों का उच्चारण कर भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव से भर दिया गया। आरती के अंत में शिव तांडव स्तोत्र के साथ भावपूर्ण पांच मिनट की विशेष आरती की गई, जिसमें मौजूद श्रद्धालु ताली बजा-बजाकर झूमते नजर आए। महायज्ञ के आयोजकों ने बताया कि करेजी गांव में यह पहली बार था जब किसी यज्ञ में गंगा आरती का आयोजन इस भव्यता और विधि-विधान से किया गया। इस आयोजन को देखने के लिए आसपास के गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। क्षेत्र में अब तक हुए यज्ञों में यह आरती सबसे विशिष्ट और चर्चित रही।
श्रद्धालुओं ने की सराहना
यज्ञाचार्य पंडित दिनेश पांडे ने कहा कि जो लोग काशी या हरिद्वार जाकर गंगा आरती नहीं देख सके, उनके लिए यह एक दुर्लभ और पवित्र अनुभव था। आरती पूर्णतः वैदिक मंत्रोच्चारण और परंपरागत विधि से संपन्न की गई, जिससे श्रद्धालुओं की आस्था और गहरी हुई। गौरतलब है कि श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ की शुरुआत 17 मई को हुई थी और इसका समापन रविवार की रात विधिवत किया जाएगा। आरती आयोजन ने महायज्ञ को भव्यता की नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।