बिहार डेस्क l केएमपी भारत l पटना
सिवान | विधि संवाददाता। उपभोक्ता संरक्षण आयोग ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ बड़ा फैसला सुनाते हुए वादिनी इंदु देवी को चोरी हुई मोटरसाइकिल की कीमत ब्याज सहित भुगतान करने का आदेश दिया है। आयोग ने बीमा कंपनी के रवैये को सेवा में त्रुटि मानते हुए मुआवजे और मुकदमे का खर्च भी दिलाने का निर्देश दिया।
गाड़ी चोरी, पर बीमा कंपनी ने नहीं दिया दावा
वाद संख्या 286/17 के अनुसार, वादिनी की मोटरसाइकिल 26 नवंबर 2015 को चोरी हो गई थी। घटना की सूचना तत्काल पुलिस और बीमा कंपनी को दी गई थी। पुलिस जांच में चोरी की घटना सत्य पाई गई। इसके बावजूद, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी की स्थानीय शाखा ने इंदु देवी को भुगतान नहीं किया। बार-बार संपर्क के बावजूद कंपनी की ओर से दावा निपटारा नहीं किया गया।
आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का दिया हवाला
21 नवंबर 2017 को वादिनी ने उपभोक्ता आयोग में मामला दर्ज किया। बीमा कंपनी ने अपनी दलील में कहा कि सूचना विलंब से दी गई थी, इसलिए दावा मान्य नहीं है। लेकिन आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय के ओम प्रकाश बनाम रिलायंस जनरल इंश्योरेंस केस का हवाला देते हुए कहा कि सूचना में देरी मात्र से दावा खारिज करना सेवा में कमी है।
ब्याज समेत 27,370 रुपये और मुआवजा देने का आदेश
अभिलेखों के आधार पर आयोग ने बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वह चोरी हुई मोटरसाइकिल की कीमत ₹27,370 वार्षिक 6% ब्याज सहित, वाद दायर करने की तिथि से अदा करे। इसके अलावा मानसिक, शारीरिक और आर्थिक परेशानी के लिए ₹5,000 तथा मुकदमे का खर्च ₹2,000 यानी कुल ₹7,000 अलग से देने होंगे।
पालन नहीं करने पर दंडात्मक कार्रवाई
आयोग ने स्पष्ट किया कि आदेश की तामील 30 दिनों में करनी होगी। अन्यथा ₹27,370 पर 9% ब्याज देय होगा। अनुपालन न होने पर वादिनी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 72 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की मांग कर सकती है।