“एक पेड़ मां के नाम” अभियान से सीवान नगर परिषद की अनोखी पहल, पर्यावरण संरक्षण को दिया भावनात्मक स्पर्श

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गांधी मैदान में फलदार और छायादार पौधों के साथ अभियान की हुई शुरुआत

13 स्थानों पर लगेंगे 910 पौधे, देखरेख करेंगी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं

31 अगस्त तक चलेगा पौधरोपण, हर नागरिक से जुड़ने की अपील

सीवान डेस्क।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर नगर परिषद सीवान ने गांधी मैदान से एक अनोखी और भावनात्मक पहल की शुरुआत की। “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत फलदार और छायादार पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाया गया। इस अभियान को न केवल पर्यावरणीय पहल के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि यह नागरिकों को अपनी भावनाओं से जोड़ने का एक सार्थक प्रयास भी है।

पौधे लगाकर दी मां को श्रद्धांजलि
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य पार्षद सेंपी देवी, उप मुख्य पार्षद किरण गुप्ता एवं कार्यपालक पदाधिकारी अनुभूति श्रीवास्तव ने पौधारोपण कर किया। उन्होंने कहा कि इस अभियान के माध्यम से लोग अपनी मां के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हुए एक पौधा लगाएं और उसकी देखभाल करें, जिससे भावनात्मक जुड़ाव के साथ पर्यावरणीय जिम्मेदारी भी निभाई जा सके।

910 पौधे, 13 स्थान और 2 वर्षों की देखरेख
इस अभियान के तहत सीवान शहर के 13 प्रमुख स्थानों पर कुल 910 पौधे लगाए जाएंगे। इन पौधों की देखरेख की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सौंपी गई है, जो दो वर्षों तक इन पौधों की सुरक्षा और सिंचाई करेंगी। यह कदम न केवल पौधों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण का भी माध्यम बनेगा।

ग्लोबल वार्मिंग से निपटने का उपाय
मुख्य पार्षद सेंपी देवी ने कहा, “आज के समय में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन गंभीर चुनौती बन चुके हैं। ऐसे में अधिक से अधिक पौधे लगाना और उनका संरक्षण करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।” उप मुख्य पार्षद किरण गुप्ता ने इसे हर नागरिक का नैतिक दायित्व बताया।

अधिकारियों की मौजूदगी में लिया गया पर्यावरण रक्षा का संकल्प
इस अवसर पर नगर प्रबंधक बालेश्वर राय, स्वच्छता पदाधिकारी उज्जवल कुमार, सिटी मिशन मैनेजर संजय कुमार, नक्शा प्रभारी अक्षत रोशन समेत कई अधिकारी एवं स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे। सभी ने सामूहिक रूप से पर्यावरण सुरक्षा का संकल्प लिया। बताया कि “एक पेड़ मां के नाम” केवल एक पौधारोपण अभियान नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और सामाजिक आंदोलन है, जो पर्यावरण संरक्षण के साथ मातृत्व की भावना को भी जीवित करता है।

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